देहरादून: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने देहरादून जिले की सुसवा और सौंग नदियों में भारी मशीनों से खनन कार्य पर रोक लगा दी है। यह निर्देश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए।
हालांकि, अदालत ने पारंपरिक तरीके से मैन्युल खनन की अनुमति दी है। इसके साथ ही राज्य सरकार से इस मामले पर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा गया है।
यह याचिका देहरादून निवासी वीरेंद्र कुमार ने दायर की थी। इसमें कहा गया है कि भारी मशीनों से खनन के कारण नदियों का जलस्तर तेजी से नीचे गिर गया है। इससे आसपास के क्षेत्रों में कृषि भूमि को नुकसान पहुंचा है और सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता घट रही है।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि भारी मशीनों से खनन कार्य ने मैन्युल खनन पर निर्भर स्थानीय लोगों की आजीविका छीन ली है, जिससे वे बेरोजगार हो गए हैं।
राज्य सरकार ने अपने पक्ष में दलील दी कि भारी मशीनों से खनन की अनुमति इसलिए दी गई थी ताकि मानसून के दौरान नदी की तलहटी में जमा गाद और बड़े पत्थरों को हटाया जा सके। सरकार का कहना है कि ये बाधाएं नदियों के प्राकृतिक बहाव में रुकावट पैदा करती हैं और जनहित को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया था।
उच्च न्यायालय ने इस मामले में संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए भारी मशीनों से खनन पर रोक लगा दी, लेकिन मैन्युल खनन की अनुमति दी है।