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उत्तराखंड की 91 वर्षीय राधा बहन भट्ट और ह्यू व कोलिन गैंटजर को मिलेगा पद्मश्री

उत्तराखंड की 91 वर्षीय राधा बहन भट्ट और ह्यू व कोलिन गैंटजर को मिलेगा पद्मश्री

केंद्र सरकार द्वारा घोषित पद्मश्री पुरस्कारों की पहली सूची में उत्तराखंड की समाजसेवी राधा भट्ट का नाम शामिल किया गया है। वे “पहाड़ की गांधी” के नाम से प्रख्यात हैं।

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। उत्तराखंड की 91 वर्षीय समाजसेवी राधा बहन भट्ट और साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान देने वाले ह्यू और कोलिन गैंटजर (मरणोपरांत) को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा।

राधा बहन भट्ट: समाजसेवा को समर्पित जीवन

राधा बहन भट्ट का जन्म 16 अक्तूबर 1933 को अल्मोड़ा जिले के धुरका गांव में कमलापति भट्ट और रेवती भट्ट के घर हुआ था। मात्र 18 साल की उम्र में उन्होंने समाजसेवा के लिए घर छोड़ दिया और कौसानी आ गईं। यहां उन्होंने बालिका शिक्षा, जीवन कौशल, पर्यावरण संरक्षण, ग्राम स्वराज, शराबबंदी आंदोलन, महिला सशक्तीकरण और सर्वोदय आंदोलन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में काम किया।

भूदान आंदोलन से लेकर हाइड्रो पावर परियोजनाओं के विरोध तक

1957 में भूदान आंदोलन के साथ उनकी पदयात्रा शुरू हुई। उन्होंने 1975 में सरला बहन के 75वें जन्मदिन पर 75 दिनों की लंबी पदयात्रा की, जिसमें उन्होंने वन संरक्षण, चिपको आंदोलन, शराबबंदी और ग्राम स्वराज के लिए लोगों को जागरूक किया। 1980 में उन्होंने खनन के खिलाफ आवाज उठाई, जबकि 2006 से 2010 के बीच हिमालय और नदियों का सर्वेक्षण करते हुए हाइड्रो पावर परियोजनाओं का विरोध किया।

वर्तमान में भी समाजसेवा में सक्रिय

राधा बहन कौसानी के लक्ष्मी आश्रम से जुड़ी हुई हैं और वर्तमान में भी समाजसेवा के कार्यों में सक्रिय हैं। इस समय वे महाराष्ट्र के वर्धा स्थित सेवाग्राम में हैं और जल्द ही कौसानी लौटेंगी।

उत्तराखंड के लिए यह गौरव का क्षण है कि उनके समर्पित कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर पद्मश्री से सम्मानित किया जा रहा है।

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