रुड़की: गंगनहर में डूबते लोगों के लिए देवदूत बन चुके मोनू ने इस साल जनवरी से अब तक 60 लोगों की जान बचाई है। पिछले पांच सालों में वह 600 से ज्यादा लोगों को मौत के मुंह से निकाल चुके हैं। मोनू की तैराकी के आगे बड़े से बड़े तैराक भी नतमस्तक हैं। यही वजह है कि लोग किसी के डूबने पर सबसे पहले मोनू को ही फोन करते हैं, यहां तक कि पुलिस भी कांवड़ यात्रा और अन्य आयोजनों में उनकी मदद लेती है।
गंगनहर में डूबने की घटनाएं आम हैं, लेकिन मोनू की सूझबूझ और तैराकी की दक्षता से कई घरों के चिराग बुझने से बचे हैं। उनकी दिलेरी को देखते हुए एसएसपी हरिद्वार उन्हें तीन बार सम्मानित कर चुके हैं।
मोनू न केवल जिंदगियां बचा रहे हैं, बल्कि अब तक करीब 500 शव भी गंगनहर से निकाल चुके हैं। गंगनहर में किसी शव के फंसे होने पर पुलिस मोनू को ही बुलाती है।
सोलानी पार्क के पास रहने वाले मोनू चाय की दुकान से अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। उनके तीन बच्चे हैं, जिन्हें वह तैराकी सिखा रहे हैं ताकि वे भी लोगों की जान बचा सकें।
पुलिस ने मोनू का नाम आपदा मित्र योजना में भेजा है, जिससे उन्हें सरकारी मानदेय और अन्य सहायता मिल सके। सीओ नरेंद्र पंत के मुताबिक, मोनू को जल्द ही आपदा मित्र बनाया जाएगा ताकि उनकी सेवा भावना को उचित सम्मान मिल सके।