अब पाठ्यक्रम में शामिल होगा मोबाइल का दुष्प्रभाव, शिक्षा मंत्री ने की एसओपी जारी करने की घोषणा

अब पाठ्यक्रम में शामिल होगा मोबाइल का दुष्प्रभाव, शिक्षा मंत्री ने की एसओपी जारी करने की घोषणा

देहरादून, जुलाई 2025:
उत्तराखंड में मोबाइल की बढ़ती लत बच्चों के स्वास्थ्य और पढ़ाई पर असर डाल रही है। इस चिंता को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने अब स्कूलों में मोबाइल के दुष्प्रभावों को पाठ्यक्रम में शामिल करने की तैयारी की है। साथ ही, इस संबंध में एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) भी तैयार की जा रही है, जिसे सभी स्कूलों में लागू किया जाएगा।

शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि वर्तमान में अधिकतर बच्चे किताबों से अधिक समय मोबाइल पर बिता रहे हैं, जिससे उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि एसओपी के तहत बच्चों को यह बताया जाएगा कि मोबाइल का उपयोग कितने समय तक करना सुरक्षित है और इससे अधिक उपयोग करने पर क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं।

हालांकि सरकारी स्कूलों में कक्षा 12 तक मोबाइल लाने पर पहले से ही प्रतिबंध है, लेकिन घर पर बच्चों द्वारा अत्यधिक मोबाइल उपयोग की समस्या बनी हुई है। खासकर छोटे बच्चों को चुप कराने के लिए अभिभावक उन्हें मोबाइल थमा देते हैं, जिससे वे कम उम्र में ही इसकी लत के शिकार हो जाते हैं।

शिक्षा मंत्री ने बताया कि कई विकसित देशों में मोबाइल के दुष्प्रभाव को लेकर गाइडलाइन जारी की गई हैं। इसी तर्ज पर उत्तराखंड में भी छात्रों के लिए नियम तय किए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस विषय पर चिंता जता चुके हैं और शिक्षा मंत्रियों की बैठक में घर में “नो मोबाइल ज़ोन” बनाने की सलाह दी है।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से छात्रों का ध्यान पढ़ाई में नहीं लग पाता। सोने से पहले मोबाइल देखने की आदत से नींद पूरी नहीं हो पाती, जिससे थकान और कक्षा में ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है। साथ ही, जब उन्हें मोबाइल उपयोग का अवसर नहीं मिलता तो वे चिड़चिड़े और बेचैन हो जाते हैं।

राज्य सरकार का यह कदम बच्चों की सेहत और शिक्षा दोनों को बेहतर दिशा देने की ओर एक अहम प्रयास माना जा रहा है।

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