UN पर संकट: महासचिव गुटेरस की बेबसी, वीटो पावर और सुधार की मांग ने उठाए सवाल

UN पर संकट: महासचिव गुटेरस की बेबसी, वीटो पावर और सुधार की मांग ने उठाए सवाल

संयुक्त राष्ट्र पर उठे गंभीर सवाल

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस (UN Secretary General Antonio Guterres) और उनके प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक के हालिया बयानों ने संगठन की कार्यप्रणाली और शक्तियों पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है। दुजारिक ने स्वीकार किया कि आज का संयुक्त राष्ट्र (United Nations) शक्तिहीन हो चुका है और बिना बड़े सुधार के यह विश्व शांति का उद्देश्य पूरा नहीं कर पाएगा।

प्रवक्ता दुजारिक का बड़ा खुलासा

अरब न्यूज को दिए इंटरव्यू में दुजारिक ने कहा कि यूएन (UN) के पास न तो सैन्य शक्ति है और न ही ठोस निर्णय लेने की क्षमता। वीटो शक्ति (Veto Power) का दुरुपयोग इसे और कमजोर कर रहा है। इजराइल द्वारा महासचिव पर लगाए गए प्रतिबंध और यूएन फंड में कटौती इसके स्पष्ट उदाहरण हैं।

गुटेरस की प्राथमिकताएं और असफलताएं

दुजारिक ने बताया कि गुटेरस की दो बड़ी प्राथमिकताएं हैं –

  1. संघर्षग्रस्त क्षेत्रों (गाजा, यूक्रेन) में शांति बहाल करना।

  2. UN में व्यापक सुधार, जिसमें भारत, ब्राजील और अफ्रीकी देशों को स्थायी सदस्य बनाना शामिल है।

लेकिन सुपरपावर देश इस बदलाव को रोक रहे हैं, जिससे यूएन की प्रासंगिकता पर सवाल उठ रहा है।

अमेरिका और ट्रंप का हमला

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी यूएन को “पत्र जारी करने वाला संगठन” कहकर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र युद्ध रोकने में नाकाम रहा है, और जो काम यूएन को करना चाहिए था, वह अमेरिका को करना पड़ रहा है।

भविष्य पर खतरा

विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि संयुक्त राष्ट्र सुधार (UN Reforms) नहीं हुए तो यह संगठन वैश्विक मंच पर अपनी प्रासंगिकता खो देगा। भारत जैसे उभरते देशों को सुरक्षा परिषद (UN Security Council) में स्थायी स्थान और वीटो शक्ति पर संतुलन ही इसका भविष्य तय करेंगे।