देहरादून। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बहुचर्चित LUCC (The Loni Urban Multi-State Credit & Thrift Co-operative Society) चिटफंड घोटाले की जांच सीबीआई (CBI) को सौंपने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जिन निवेशकों का पैसा डूबा है, वे अपनी शिकायत व सबूत सीबीआई को प्रस्तुत करें।
हाईकोर्ट का आदेश
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने 17 सितंबर को हुई सुनवाई में यह बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने साफ कहा कि अब इस मामले की जांच सीबीआई करेगी।
सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से बताया गया कि उन्हें इस घोटाले की जांच की अनुमति मिल चुकी है और इसकी आधिकारिक स्वीकृति का पत्र भी कोर्ट में पेश किया गया।
800 करोड़ का चिटफंड घोटाला
LUCC चिटफंड कंपनी पर आरोप है कि उसने प्रदेश के हजारों लोगों से करीब 800 करोड़ रुपए की ठगी की और उसके बाद कार्यालय बंद कर फरार हो गई।
- कंपनी ने 2021 में देहरादून, ऋषिकेश और पौड़ी सहित कई जिलों में ऑफिस खोले।
- स्थानीय लोगों को एजेंट बनाकर निवेशकों को लुभाया गया।
- बिना सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट में पंजीकरण कराए ही कंपनी ने कारोबार किया।
- 2023-24 में अचानक ऑफिस बंद कर दिया गया और मुख्य आरोपी विदेश (दुबई) भाग गया।
निवेशकों की दुर्दशा
- देहरादून और ऋषिकेश के कई पीड़ितों ने जनहित याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की थी।
- 27 पीड़ितों ने कोर्ट में कहा कि राज्य पुलिस ने अब तक उनका मुकदमा दर्ज नहीं किया।
- कोर्ट ने सभी पीड़ितों से कहा कि वे अपनी शिकायत व भुगतान से जुड़े प्रमाण पत्र सीबीआई को उपलब्ध कराएं।
पुलिस जांच पर सवाल
राज्य पुलिस की ओर से बताया गया कि अब तक 56 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं और जांच जारी है। लेकिन निवेशकों का आरोप है कि पुलिस ने कई पीड़ितों की शिकायत तक दर्ज नहीं की और उल्टा एजेंटों को परेशान कर रही है।
कोर्ट की टिप्पणी
जनहित याचिका में सवाल उठाया गया कि जब यह कंपनी बिना पंजीकरण के राज्य में काम कर रही थी तो सरकार और संबंधित विभाग क्या कर रहे थे। कोर्ट ने इस पर भी गंभीरता से विचार किया और सीबीआई को मामले की तह तक जाकर जांच करने के निर्देश दिए।