नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सभी को हैरान कर दिया। एक महिला ने शादी के केवल एक साल बाद ही पति से तलाक की अर्जी दायर कर दी और गुजारा-भत्ता (एलिमनी) के रूप में पूरे 5 करोड़ रुपये की मांग कर दी।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि ऐसी मांगें “अवास्तविक और अनुचित” हैं। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि इस तरह के रुख पर अड़े रहे, तो कोर्ट “बहुत सख्त आदेश देने को मजबूर हो सकता है।”
मामले की सुनवाई जस्टिस पारदीवाला की पीठ ने की। उन्होंने तलाक के दौरान की जाने वाली अत्यधिक आर्थिक मांगों को लेकर चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि “जब शादी केवल एक साल चली है, तो इतनी बड़ी रकम की एलिमनी मांगना उचित नहीं कहा जा सकता।”
क्या कहा कोर्ट ने
पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि तलाक एक कानूनी प्रक्रिया है, इसे आर्थिक सौदेबाजी का माध्यम नहीं बनाया जाना चाहिए। पति की आर्थिक स्थिति और विवाह की अवधि के अनुसार ही गुजारा-भत्ता तय किया जा सकता है।
क्या है एलिमनी का नियम
एलिमनी की कोई तय राशि नहीं होती। यह पति की आय, संपत्ति, और पत्नी की आर्थिक स्थिति के आधार पर अदालत तय करती है।
यदि बच्चे पत्नी के साथ रह रहे हों, तो अदालत इस पर विचार करते हुए राशि बढ़ा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है। लोग इसे विवाह संस्थान की गंभीरता पर एक महत्वपूर्ण संदेश मान रहे हैं।
बढ़ते तलाक और ऊंची एलिमनी के मामले
पहले ऐसे मामले फिल्मी सितारों या मशहूर हस्तियों तक सीमित रहते थे, लेकिन अब आम लोगों के बीच भी ऐसे विवाद बढ़ रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि विवाह को “सात जन्मों का बंधन” माना जाता है, लेकिन अब एक जन्म का रिश्ता निभाना ही बड़ी बात हो गई है।