देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर उत्तराखंड सरकार ने बच्चों की सेहत की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम उठाया है। प्रदेशभर में औषधि विभाग द्वारा कफ सिरप की गुणवत्ता और वैधानिकता की जांच के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
अब तक 350 से अधिक सिरप के नमूने जांच के लिए लिए जा चुके हैं, जबकि एक दर्जन से अधिक मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस निरस्त किए गए हैं। सरकार ने सभी बाल चिकित्सकों से अपील की है कि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रतिबंधित सिरप किसी भी स्थिति में न लिखें।
मुख्यमंत्री धामी बोले — बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा,
“हमारा लक्ष्य है कि उत्तराखंड में ऐसा कोई सिरप न बिके, जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बने। यह हमारी जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा है।”
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि हर मेडिकल स्टोर, अस्पताल और फार्मा यूनिट की जांच सुनिश्चित की जाए।
स्वास्थ्य मंत्री की अपील — डॉक्टर जिम्मेदारी निभाएं
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि डॉक्टरों और फार्मासिस्टों को बच्चों को दवा लिखते समय विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।
“दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी स्थिति में प्रतिबंधित सिरप न दी जाए। बच्चों की सेहत सर्वोच्च प्राथमिकता है।”
स्वास्थ्य सचिव की सख्त चेतावनी
स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त (FDA) डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कि बच्चों की सेहत से खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
“जहाँ लापरवाही पाई जाएगी, वहाँ लाइसेंस निरस्तीकरण सहित कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
जिलों में औषधि विभाग की कार्रवाई
देहरादून:
औषधि निरीक्षक मानेंद्र सिंह राणा के नेतृत्व में टीम ने पलटन बाजार, घंटाघर, जॉलीग्रांट, अजबपुर और नेहरू कॉलोनी में मेडिकल स्टोर्स का निरीक्षण किया। कई दुकानों से बच्चों की खांसी की दवाएँ सील की गईं।
ऋषिकेश:
औषधि निरीक्षक निधि रतूड़ी की टीम ने छह दवाओं के नमूने लिए और कई सिरप सील किए।
हल्द्वानी:
मुखानी क्षेत्र में सात मेडिकल स्टोर्स की जांच की गई, जिनमें दो सिरप के नमूने जांच हेतु लिए गए।
अल्मोड़ा व बागेश्वर:
अल्मोड़ा में एक और बागेश्वर के गरुर क्षेत्र में दो मेडिकल स्टोर्स से नमूने लिए गए।
अभियान की निगरानी स्वयं स्वास्थ्य सचिव एवं FDA आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार कर रहे हैं।
अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि बच्चों के लिए असुरक्षित दवाओं की बिक्री पर चरणबद्ध सख्त निगरानी रखी जाएगी।
यह अभियान “सुरक्षित स्वास्थ्य मिशन” का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य है — प्रदेश से असुरक्षित औषधियों का पूर्ण उन्मूलन। मुख्यमंत्री धामी की अगुवाई में यह कार्रवाई उत्तराखंड में बाल स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हो रही है।