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ब्लू रेवोल्यूशन 2.0 युवाओं के लिए अवसरों का महासागर: डॉ. मुरुगानंदम

ब्लू रेवोल्यूशन 2.0 युवाओं के लिए अवसरों का महासागर: डॉ. मुरुगानंदम

देहरादून। विश्व मत्स्य दिवस (WFD) 2025 के अवसर पर आयोजित विशेष सत्र में ICAR–भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC) देहरादून के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रभारी (PME एवं KM इकाई) डॉ. एम. मुरुगानंदम ने भारत की विशाल मत्स्य संभावनाओं और उभरते अवसरों पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया। यह सत्र 21 नवंबर 2025 को डॉल्फ़िन पीजी इंस्टीट्यूट, देहरादून में आयोजित विश्व मत्स्य दिवस समारोह के अंतर्गत हुआ, जहां डॉ. मुरुगानंदम मुख्य विशेषज्ञ के रूप में आमंत्रित थे।

ब्लू रेवोल्यूशन 2.0—युवाओं के लिए नए अवसर

अपने संबोधन में डॉ. मुरुगानंदम ने कहा कि ब्लू रेवोल्यूशन 2.0 युवाओं के लिए रोज़गार, उद्यमिता और पेशेवर विकास के क्षेत्र में “अवसरों का महासागर” प्रस्तुत करता है। उन्होंने इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और एग्रीकल्चर स्किल काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) की कौशल-आधारित पहलों से सीधे जुड़ा बताया।

उन्होंने बताया कि भारत नदियों, जलाशयों, तटीय क्षेत्रों और समुद्री पारितंत्रों सहित समृद्ध जलीय संसाधनों वाला देश है, जहां मत्स्य उत्पादन, तकनीकी नवाचार और जलीय कृषि लगातार नए आयाम स्थापित कर रहे हैं। इस विकास में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) और FIDF जैसी सरकारी योजनाओं की बड़ी भूमिका है।

1950 से 2025 तक मत्स्य उत्पादन में ऐतिहासिक बढ़ोतरी

अपने प्रस्तुतीकरण में उन्होंने ब्लू रेवोल्यूशन 1.0 की उपलब्धियों का उल्लेख किया।
भारत में मत्स्य उत्पादन—

  • 1950: 0.7 मिलियन टन
  • 2014: 9.6 मिलियन टन
  • 2025: 19.5 मिलियन टन

तक पहुँच चुका है, जो वैश्विक स्तर पर भारत की सशक्त स्थिति को दर्शाता है।

डॉ. मुरुगानंदम ने बताया कि ब्लू रेवोल्यूशन 2.0 का फोकस समुद्री मत्स्य संसाधनों के सतत दोहन, अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन में वृद्धि, और आधुनिक तकनीकों जैसे—

  • जल-गुणवत्ता सेंसर
  • जलीय बायोमास मॉनिटरिंग
  • बायोफ्लॉक
  • RAS (रिकर्सुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम)
  • मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण में कमी

—पर आधारित है, जो इस क्षेत्र को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा।

छात्रों ने किया सक्रिय सहभाग

सेमिनार में लगभग 50 स्नातक एवं स्नातकोत्तर छात्र, तथा अनेक फैकल्टी सदस्यों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने डॉ. मुरुगानंदम से विभिन्न तकनीकी और करियर-उन्मुख सवाल पूछे।

तकनीकी सत्र का संचालन डॉ. बीना जोशी, विभागाध्यक्ष (प्राणीशास्त्र), तथा डॉ. दीपाली राणा, सहायक प्रोफेसर, डॉल्फ़िन पीजी इंस्टीट्यूट द्वारा किया गया।