ग्राफिक एरा में उत्तरागम फैशन शो, रैंप पर बिखरी जनजातीय पहनावे की छटा

ग्राफिक एरा में उत्तरागम फैशन शो, रैंप पर बिखरी जनजातीय पहनावे की छटा


देहरादून, 13 नवंबर। ग्राफिक एरा में देशभर की जनजातीय कलाओं, बुनावटो, हस्तशिल्प परंपराओं और समकालीन फैशन का अद्भुत संगम एक ही मंच पर देखने को मिला। यह मौका था जनजातीय फैशन शो का।

ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी में जनजातीय विरासत और भारतीय हस्तकला की समृद्ध परंपरा को समर्पित उत्तरागम 2025 फैशन शो का आयोजन किया गया। इस फैशन शो में छात्र-छात्राओं ने देशभर की जनजातीय कलाओं से प्रेरित विशिष्ट कलेक्शनों को रैंप पर मॉडर्न अंदाज में प्रस्तुत किया। भोटिया संग्रह ने हिमालय की ऊंचाइयों से प्रेरित ऊनी परिधानों के माध्यम से उत्तराखंड की दृढ़ता और सरलता को दर्शाया, वहीं बोडो कलेक्शन ने असम की एरी सिल्क बुनाई और पारिस्थितिकी सौंदर्य को आधुनिक फैशन की भाषा में अनुवादित किया। वार्ली कला संग्रह ने महाराष्ट्र की लोक चित्र परंपरा को मॉडर्न फैब्रिक पर हाथों से उकेरते हुए सादगी में गहराई का संदेश दिया। जबकि कुल्लू बुनावट संग्रह ने हिमाचल की ऊनी गर्माहट और ज्यामितीय पैटर्न को समकालीन सौंदर्य से जोड़ा। दक्षिण भारत की टोडा कड़ाई से सजा संग्रह अपने सूक्ष्म हस्तशिल्प और जीआई टैग वाली कला की सटीकता से प्रभावित कर गया। वहीं जौनसार कलेक्शन ने उत्तराखंड की लोक पहनावे की परंपरा को आधुनिक सिल्हूट्स में डालकर सांस्कृतिक गर्व का एहसास कराया। इन सभी कलेक्शनों ने मिलकर यह सिद्ध किया कि भारत की जनजातीय विरासत केवल अतीत की धरोहर नहीं बल्कि भविष्य के फैशन की आत्मा है जहां हर धागा परंपरा से जुड़कर नवाचार का प्रतीक बन सकता है।

फैशन शो के साथ ही कई सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी हुई। टीम ब्राह्मस के गढ़वाली लोकगीतों ने लोकधानों की मिठास बिखेरी, टीम देवस्थली के रम्माण नृत्य ने राज्य की पारंपरिक लोक कला को सजीव किया और हनुमान चालीसा पर भरतनाट्यम प्रस्तुति में प्रभावशाली भावभंगिमा और ऊर्जा देखने को मिली।

इस मौके पर देशभर से आए जनजातीय शिल्पकारों ने स्कूली बच्चों को हस्तशिल्प के गुर सिखाए। कार्यशाला में ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय, ग्राफिक एरा ग्लोबल स्कूल, सेंट पॉल स्कूल और शिवालिक स्कूल के लगभग 50 छात्र-छात्राओं ने भाग लेकर मध्य प्रदेश की गोंड पेंटिंग और छत्तीसगढ़ की सोहराई पेंटिंग की तकनीकों को सीखा। छात्र-छात्राओं ने स्वयं भी गोंड और सोहराई पेंटिंग बनाकर जनजातीय कला की गहराई को समझने का अवसर पाया। इंटरेक्शन सेशन में सभी छात्र-छात्राओं ने जनजातीय कलाकारों से संवाद कर उनके अनुभव, प्रेरणाओं और कला को जीवंत बनाए रखने की चुनौतियों को समझा।

उत्तरागम का आयोजन ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के फैशन डिजाइन डिपार्टमेंट और ऑल इंडिया आर्टिशन एंड क्राफ्टवर्कर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी के कुलपति डा. अमित आर भट्ट, फैशन डिजाइन डिपार्टमेंट की हेड डा. ज्योति छाबड़ा, आइका की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर मीनू चोपड़ा, आइका की गवर्निंग बॉडी सदस्य डा. मधुरा दत्ता, शिल्प कॉन्सेप्ट के सह संस्थापक श्री राजेश जैन के साथ श्रद्धा शुक्ला, अमृत दास अन्य शिक्षक-शिक्षिकाएं और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन विपुल तिवारी और विशाल छाबड़ा ने किया।