वन-धन विकास योजनाः आंध्र प्रदेश की सफलता गाथा

वन-धन विकास योजनाः आंध्र प्रदेश की सफलता गाथा

दिल्ली: जनजातीय आबादी की आजीविका सुधारने में मदद देने के लिए अनेक कार्यक्रम लागू किए गए हैं। यह कार्यक्रम जनजातीय कार्य मंत्रालय के ट्राईफेड द्वारा संचालित किये जा रहे हैं।  खासकर पिछले वर्ष कोविड महामारी से प्रभावित जनजातीय लोगों की मदद के लिए वन-धन जनजातीय स्टार्टअप तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य और मूल्य संवर्धन करके छोटे वन उत्पाद की मार्केटिंग व्यवस्था (एमएफपी – ) प्रमुख है। 

एमएफपी योजना के अंतर्गत उत्पाद एकत्रित करने वालों को न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान किया जाता है और जनजातीय समूहों और कलस्टरों के माध्यम से मूल्यवर्धन और मार्केटिंग की जाती है। पूरे देश में इन कार्यक्रमों को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है। आंध्र प्रदेश वन धन योजना से जनजातीय लोगों को लाभ देने वाला बेहतरीन उदाहरण है।

विशाखापत्तनम जिले में जिला क्रियान्वयन एजेंसी के रूप में आईटीडीए पाडेरू काम कर रहा है और 39 अड्डापत्ता प्लेट हाइड्रॉलिक मशीनें स्थापित की गई हैं, 390 सिलाई मशीनें खरीदी गई हैं और स्वीकृत 54 वीडीवीके के लिए 40 समकोणीय आकार की इमली बनाने की हाइड्रॉलिक मशीनें लगाई गई हैं। 

वीडीवीके में प्रसंस्कृत किए जाने वाले लघु वन उत्पादों में पहाड़ी झाड़ू घास, बांस, इमली तथा अड्डा पत्ता शामिल है। दक्षिण भारत के व्यंजनों में इमली का काफी उपयोग किया जाता है।  कोराई वीडीवीके में 25 स्वयं सहायता समूहों के जनजातीय लाभार्थी बांस के पहाड़ी झाड़ू विभिन्न वजनों के अनुसार तैयार करने के लिए बांस के छड़ियों से पहाड़ी झाड़ू की प्रोसेसिंग करते हैं।  

इसके अतिरिक्त उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश में जनजातीय फूड पार्क की योजना बनाई जा रही है। फूड पार्क का फोकस प्रारंभ में पूर्वी गोदावरी जिले के रम्पाचोदावरम में काजू प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने और नरसिंहपत्तनम में कॉफी को कठोर बनाने की इकाई लगाने पर है। इस फूड पार्क के अगले वर्ष पूरा होने की आशा है और इससे क्षेत्र के सैकड़ों जनजातीय लोगों को रोजगार मिलेगा। वोकल फॉर लोकल तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने वाले इस कार्यक्रम से जनजातीय लोगों की आय और आजीविका में सुधार होगा और अंततः इनके जीवन में बदलाव आएगा।

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