नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार, 12 दिसंबर 2025 को हुई केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक में देशहित से जुड़े तीन बड़े फैसलों पर मुहर लगी। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी कि वर्ष 2027 की जनगणना देश के इतिहास में पहली बार पूरी तरह डिजिटल माध्यम से कराई जाएगी। इसके लिए सरकार ने ₹11,718 करोड़ के बजट को मंजूरी दी है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सेंसस 2027 को आधुनिक तकनीक से लैस करते हुए पारदर्शी, सुरक्षित और प्रभावी बनाया जाएगा। यह कदम शासन-प्रशासन को सटीक आंकड़े उपलब्ध कराने के साथ-साथ भविष्य की योजनाओं को बेहतर दिशा देने में सहायक होगा।
दो चरणों में होगी डिजिटल जनगणना
सरकार के अनुसार जनगणना की प्रक्रिया दो चरणों में पूरी की जाएगी—
- पहला चरण: 1 अप्रैल 2026 से सितंबर 2026 तक, जिसमें हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग सेंसस किया जाएगा।
- दूसरा चरण: फरवरी 2027 में जनसंख्या गणना कराई जाएगी।
डेटा संग्रह के लिए मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग किया जाएगा, जो हिंदी, अंग्रेजी सहित सभी प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध रहेगा। डिजिटल डिजाइन तैयार करते समय डेटा सुरक्षा और नागरिकों की गोपनीयता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
जाति बताना होगा वैकल्पिक
सरकार ने स्पष्ट किया है कि जनगणना के दौरान जाति की जानकारी देना अनिवार्य नहीं होगा। नागरिक चाहें तो यह विवरण साझा न भी करें। जनगणना के बाद केवल समेकित (एग्रीगेटेड) डेटा ही सार्वजनिक किया जाएगा, जबकि व्यक्तिगत या माइक्रो डेटा सार्वजनिक नहीं होगा, जिससे नागरिकों की निजता पूरी तरह सुरक्षित रहेगी।
सरकार का मानना है कि डिजिटल जनगणना से न केवल समय और संसाधनों की बचत होगी, बल्कि आंकड़ों की सटीकता भी बढ़ेगी। यह निर्णय देश को डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में एक और बड़ा कदम माना जा रहा है।