आधुनिक कृषि वानिकी पद्धतियों को किसानों के खेतों में अपनाने को प्राथमिकता दे – एफआरआई महानिदेशक अरुण सिंह रावत

आधुनिक कृषि वानिकी पद्धतियों को किसानों के खेतों में अपनाने को प्राथमिकता दे – एफआरआई महानिदेशक अरुण सिंह रावत

वन क्षेत्र संवर्धन और आजीविका सुधार विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन

Training on Forest Area Promotion and Livelihood Improvement

रेनबो न्यूज़ इंडिया * 26 नवंबर 2021

देहरादून।  वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के विस्तार प्रभाग द्वारा नवम्बर 22 से 26 नवम्बर, 2021 शुक्रवार तक भारतीय वन सेवा अधिकारियों के लिए ‘‘वन क्षेत्र संवर्धन और आजीविका सुधार’’ विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें वन मंडल अधिकारियों से लेकर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक तक के अधिकारियों ने भाग लिया। 

प्रशिक्षण का शुभारम्भ 22 नवंबर को किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में श्रीमती ऋचा मिश्रा, प्रमुख, विस्तार प्रभाग ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की भूमिका बताई तथा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून के महानिदेशक श्री अरुण सिंह रावत, भा.व.से. को उद्घाटन संबोधन के लिए आमंत्रित किया। श्री रावत ने अपने संबोधन में अधिक से अधिक आधुनिक कृषि वानिकी पद्धतियों को किसानों के खेतों में अपनाने पर जोर दिया, जिससे वनों के बाहर वन संवर्धन के साथ-साथ किसानों तथा कृषि-वानिकी व्यवसाय से परोक्ष एवं अपरोक्ष रूप से जुड़े लोगों की आजीविका में सुधार लाया जा सके। उन्होंने कृषि वानिकी उत्पादों के विपणन के लिए सुदृण बाजारीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया तथा वन विभागों की भूमिका की आवश्यकता बताई। 

प्रशिक्षण के तकनीकी सत्र में देश-विदेश के विषय विशेषज्ञों द्वारा कृषि वानिकी के विभिन्न पहलुओं पर विचार रखे गए। प्रशिक्षण में विदेश से जुड़े हुए विषय विशेषज्ञों में फ्लोरिडा विश्वविद्यालय, यू. एस. ए. के प्रवक्ता डॉ० पी के आर नायर, पैराडेनिया विश्वविद्यालय, श्रीलंका के डॉ० डी के एन जी पुश्पाकुमारा, इंटरनेशनल सेंटर फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च इन ड्राई एरिया, मिस्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ० चंद्रशेखर विरादर शामिल थे।

देश के विभिन्न संस्थानों तथा विभागों से शामिल विषय विशेषज्ञों में श्री जगदीश चन्द्र, प्रमुख मुख्य वन संरक्षक, हरियाणा वन विभाग, डॉ० देवेन्द्र पाण्डे, आई.एफ.एस. सेवानिवृत्त, राष्ट्रीय समन्वयक सी.एफ.ओ.आर, आई.सी.आर.ए.एफ. एशिया प्रोग्राम, नई दिल्ली के डॉ० एस.के. ध्यानी, काफरी आई.सी.आर. के निदेशक डॉ० ए. अरुणाचलम, भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान देहरादून के प्रधान वैज्ञानिक डॉ० चरण सिंह, राजस्थान से डॉ० एस. कला, चण्डीगढ़ से प्रधान वैज्ञानिक डॉ० पंकज पंवार, चैधरी चरण सिंह, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के 

वानिकी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ० संदीप आर्य, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ० अशोक कुमार, डॉ० विपिन प्रकाश, आई,सी,ए,आर, काफरी झांसी के निदेशक डॉ० ए. अरुणाचलम, डॉ० ए.के. पांडेय वरिष्ठ वैज्ञानिक सेवानिवृत्त, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून, आई.सी.ए.आर. नई दिल्ली के सेवानिवृत्त, सहायक महानिदेशक, डॉ० जे.सी. डागर, वीर चन्द्र सिंह, उत्तराखंड बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार उत्तराखंड के प्रभाग प्रमुख व डीन डॉ० अरविन्द बिजल्वाण ने अपने विचार व्यक्त किए। 

पैनल डिस्कशन के दौरान डॉ० पी. पी. भोजवैद, डॉ० जितेन्द्र शर्मा, डॉ० सलील कुमार तिवारी, श्री अमरजीत सिंह डण्डियाला, श्री प्रदीप बक्शी आदि प्रमुख वन अधिकारी बतौर विषय विशेषज्ञों शामिल रहे। 

कार्यक्रम का संचालन डॉ० देवेन्द्र कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने किया तथा टीम के अन्य सदस्यों डॉ० चरण सिंह, श्री रामवीर सिंह, श्री विजय कुमार तथा अन्य अधिकारी और कर्मचारियों ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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