रेनबो न्यूज़ इंडिया * 24 जनवरी 2022
बुरांश के पौधे से कोरोना से संक्रमित मरीजों का इलाज हो सकेगा, यह दावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT Mandi) मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (ICGEB) के शोधकर्ताओं ने अपनी हालिया रिसर्च में किया है। इसके फूलों से निकलने वाले अर्क से शरीर में कोरोना की संख्या को बढ़ने से रोका जा सकेगा।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके फूल की पंखुड़ियों में ऐसे फायटोकेमिकल मिले हैं, जिनका इस्तेमाल कोविड-19 होने पर इलाज के तौर पर किया जा सकता है। इसमें एंटीवायरल खूबियां हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, बुरांश का पौधा कोरोना वायरस से लड़ने में हमारी मदद कर सकता है।
बायोमॉलिकुलर स्ट्रक्चर एंड डायनामिक्स जर्नल में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, लैब में Vero E6 कोशिकाओं पर प्रयोग किया गया। ये कोशिकाएं अफ्रीकन ग्रीन मंकी की मदद से विकसित की गई थीं। इनका ज्यादातर इस्तेमाल बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण की गंभीरता को समझने के लिए किया जाता है। प्रयोग के दौरान इन संक्रमित कोशिकाओं पर बुरांश के फूलों का अर्क इस्तेमाल किया गया। रिसर्च में सामने आया कि ये कोविड के संक्रमण को रोकने में मदद करता है।
बुरांश उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है। बुरांश के पौधे का वैज्ञानिक नाम रोडोडेंड्रन अर्बोरियम है। बुरांश का पौधा समुद्र तल से 1500-3600 मीटर की ऊंचाई पर मिलता है। मार्च-अप्रैल के महीनों में इस पर लाल रंग के फूल खिलते हैं। ये भारत के अलावा पाकिस्तान, चीन, नेपाल, थाईलैंड और श्रीलंका में भी पाया जाता है। श्रीलंका में इसके पाए जाने को लोग रामायण में हनुमान जी के हिमालय से वहां संजीवनी बूटी का पर्वत लेकर जाने से जोड़ते हैं।
बुरांश का पौधा ज्यादातर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और कश्मीर में पाया जाता है।। यहां के लोग काफी समय से बुरांश के फूलों के जूस का इस्तेमाल बेहतर स्वास्थ्य के लिए कर रहे हैं। इसका जूस हृदय रोग के लिए बहुत लाभकारी होता है लेकिन अब इसका इस्तेमाल कोरोना के इलाज में भी किया जा सकेगा ।
बुरांश के फूलों से तैयार अर्क का इस्तेमाल कई रोगों में भी किया जाता है, जैसे- हृदय रोग, जुकाम, सिरदर्द, बुखार और मांसपेशियों का दर्द इसके अलावा इसकी पत्तियों से चटनी भी बनाई जाती है जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है। अब कोविड में भी इसका इस्तेमाल हो सकेगा। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही ऐसी दवा आ सकती है जो कोरोना मरीजों के लिए संजीवनी से कम नहीं होगी।इसके अलावा वैज्ञानिकों की टीम हिमालय में मिलने वाले अन्य पौधों में भी कोरोना का इलाज ढूंढ रही है।
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