5 फरवरी को ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी’ का अनावरण करेंगे पीएम मोदी, 120 किलो सोने से बनी है प्रतिमा, जानें इसकी खास बातें

5 फरवरी को ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी’ का अनावरण करेंगे पीएम मोदी, 120 किलो सोने से बनी है प्रतिमा, जानें इसकी खास बातें

रेनबो न्यूज़ इंडिया* 21 जनवरी 2022

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच फरवरी, 2022 को ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ को दुनिया को समर्पित करेंग। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैदराबाद में 11वीं सदी के संत और समाज सुधारक रामानुजाचार्य की 216 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करेंगे। इस प्रतिमा को ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ नाम दिया गया है। यह प्रतिमा हैदराबाद के बाहरी इलाके शमशाबाद में 45 एकड़ के परिसर में स्थित है।इस आयोजन को रामानुज सहस्राब्दी समारोहम नाम दिया गया है। इन ‘समारोहम’ के तहत सामूहिक मंत्र-जाप और 1035 यज्ञ जैसी आध्यात्मिक गतिविधियों का आयोजन तय किया गया है। बता दें कि एक हजार करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट को विश्व स्तर पर भक्तों के द्वारा दिए गए दान से ही पूरा किया गया है।

कार्यक्रम 2 फरवरी से शुरू होंगे। तेलंगाना के मुख्यमंत्री कल्बकुंतल चंद्रशेखर राव चिन्ना जीयर स्वामी के साथ इस कार्यक्रम की सह-मेजबानी करेंगे। समारोह में कई अन्य मुख्यमंत्रियों, राजनेताओं, मशहूर हस्तियों और अभिनेताओं के भी शामिल होने की उम्मीद है।

क्या है इस मंदिर की खासियत?
इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि यहां रामानुजाचार्य की दो मूर्तियां होंगी और दोनों की ही बनावट अलग तरह से की गई है। पहली मूर्ति ‘पंचलोहा’ से बनाई गई है और यह 216 फीट ऊंची है। इसे स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी नाम दिया गया है। दूसरी प्रतिमा मंदिर के गर्भगृह में रखी जाएगी, जो संत के 120 सालों की यात्रा की याद में 120 किलो सोने से बनाई गई है। खास बात यह है कि गर्भगृह में रखी गई प्रतिमा का उद्घाटन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 13 फरवरी को करेंगे।

बैठने की मुद्रा में दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा होगी
216 फीट की स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी बैठने की मुद्रा में बनाई गई दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। यह ‘पंचलोहा’ से बनी है, जिसमें पांच धातुओं – सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता संयोजन है। थाईलैंड में बैठने की मुद्रा वाली बुद्ध की मूर्ति को अब तक दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति कहा जाता रहा है।

मंदिर में पांच भाषाओं में इतिहास सुन सकेंगे भक्त
मंदिर में दर्शनार्थियों को 5 भाषाओं में ऑडियो गाइड मिल सकेगी। अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, तेलुगु सहित एक और भाषा इसमें शामिल होगी। यहां हर तरह की सुविधा होगी। मंदिर के भीतर रामानुजाचार्य के पूरे जीवन को चित्रों और वीडियो में दिखाया जाएगा। साथ ही, दक्षिण भारत के प्रसिद्ध 108 दिव्य देशम् की रेप्लिका भी इस स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी के चारों ओर बनाई जा रही है।

कौन थे संत रामानुजाचार्य?
संत रामानुजाचार्य का जन्म सन 1017 में तमिलनाड़ु में हुआ था। उन्होंने कांची में अलवार यमुनाचार्य से दीक्षा ली थी। श्रीरंगम के यतिराज नाम के संन्यासी से उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली। पूरे भारत में घूमकर उन्होंने वेदांत और वैष्णव धर्म का प्रचार किया। उन्होंने कई संस्कृत ग्रंथों की भी रचना की। उसमें से श्रीभाष्यम् और वेदांत संग्रह उनके सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ रहे। 120 वर्ष की आयु में 1137 में उन्होंने देहत्याग किया।
समाज में उनके योगदान को आज तक वो स्थान नहीं मिल पाया, जिसके वो अधिकारी थे। इस मंदिर के जरिए, उनकी समाज के निर्माण में रचनात्मक योगदान को दिखाया जाएगा।

इस परियोजना के लिए आधारशिला 2014 में रखी गई थी। 54 फीट ऊंची इमारत, जिसका नाम भद्रवेदी है, में एक वैदिक डिजिटल पुस्तकालय और अनुसंधान केंद्र है, जिसमें प्राचीन भारतीय ग्रंथ, एक थिएटर, एक शैक्षिक गैलरी और श्री रामानुज आचार्य के कई कार्यो का विवरण देने वाला पांच भाषाओं में ऑडियो टूर है।

Please share the Post to: