रेनबो न्यूज़ * 17 नवंबर 2022
देहरादून: उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट मीटिंग में जबरन धर्मांतरण को गंभीर अपराध घोषित किए जाने पर सहमति बन गई है। यूपी की तरह ही यहां भी अब जबरन धर्मांतरण कानून (anti-conversion law) गैर-जमानती कैटिगरी में आ गया है। इसके तहत 10 साल की सजा का प्रावधान रखा गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह मंजूरी दी गयी। इसके अलावा उत्तराखंड हाई कोर्ट को नैनीताल से हल्द्वानी शिफ्ट करने का भी फैसला लिया गया है। लगभग 3 घंटे तक चली इस महत्वपूर्ण कैबिनेट बैठक में 29 फैसलों पर मुहर लगी
धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत 2018 में प्रदेश में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम बनाया गया था। लेकिन मौजूदा समय में बदले हालात में इसे और अधिक सशक्त बनाये जाने के लिए उत्तर प्रदेश की तरह इसमें संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। उन्होंने बताया कि इस संशोधन के तहत जबरन धर्मांतरण को संज्ञेय अपराध मानते हुए 10 साल की कैद की सजा का प्रावधान प्रस्तावित है। सूत्रों ने कहा कि 2018 अधिनियम में जबरन धर्मांतरण का दोषी पाए जाने पर पांच साल तक की सजा का प्रावधान है। इस संशोधन को जल्द ही राज्य विधानसभा में लाया जाएगा।
इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय को नैनीताल से हल्द्वानी स्थानांतरित किए जाने के प्रस्ताव को भी सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया।
बैठक में राज्य की जल विद्युत परियोजनाओं को व्यवसायिक एवं व्यवहारिक रूप देने के लिए 74:26 की अंशधारिता के साथ टीएचडीसी (इण्डिया) लिमिटेड एवं यूजेवीएन लिमिटेड के मध्य संयुक्त उपक्रम के गठन को भी स्वीकृति दी गयी।
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