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ग्राफ़िक एरा: कार्यशाला में पहाड़ी क्षेत्रों में जल संरक्षण, प्रबंधन और चुनौतियों पर मंथन

ग्राफ़िक एरा: कार्यशाला में पहाड़ी क्षेत्रों में जल संरक्षण, प्रबंधन और चुनौतियों पर मंथन

रेनबो न्यूज़ * 12 नवंबर  2022

देहरादून। ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी, देहरादून के सिविल इंजीनियरिंग विभाग ने आईडब्ल्यूआरएस चैप्टर और आईईआई स्टूडेंट चैप्टर देहरादून के सहयोग से – पहाड़ी क्षेत्र में सतत जल संरक्षण, प्रबंधन के मुद्दे, चुनौतियां और उपचार पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। 

कार्यशाला की शुरुआत सरस्वती वंदना की प्रस्तुति के साथ की गई और फिर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० संजय जसोला ने अपने संबोधन में ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे ग्राफ़िक एरा ग्रुप के अध्यक्ष प्रो० डॉ० कमल घनसाला ने अपनी कड़ी मेहनत, इच्छाशक्ति, ईमानदारी और समर्पण के साथ कार्य कर एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया कि एक व्यक्ति क्या कर सकता है।  

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के महानिदेशक प्रो० डॉ० एच एन नागराजा ने विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही में हासिल की गई विशेष मान्यता के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय को क्यूएस एशिया रैंकिंग 2022 में 189वें विश्वविद्यालय के रूप में स्थान दिया गया है। इसके साथ ही टाइम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 में ग्राफ़िक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी को 601 से 800 रैंक बैंड में रखा गया है। 

कार्यशाला के मुख्य अतिथि डॉ० दीपक खरे, प्रो० डब्ल्यूआरडी एंड एम विभाग (WRD&M Department), आईआईटी रुड़की ने कार्यशाला में विषय एक्सपर्ट के तौर पर संबोधित किया। उन्होंने सतत विकास के लिए जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन में विभिन्न अवसर पर विस्तृत जानकारी दी।  साथ ही उन्होंने इस क्षेत्र में आने वाली चुनौतियां पर भी चर्चा की।  

डॉ० पंकज गुप्ता, रामानुजन फेलो, आईआईटी दिल्ली; प्रोफेसर, वाटरलू विश्वविद्यालय, कनाडा ने अपने लेक्चर में पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा एवं जल गुणवत्ता प्रबंधन पर विस्तृत जानकारी दी। 

डॉ० एम पी सिंह, प्रोफेसर, प्रबंधन अध्ययन विभाग, ग्राफिक एरा डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय, देहरादून ने हिमालयी ग्रामीण क्षेत्र में जल प्रबंधन पर जानकारी दी। साथ ही उन्होंने इस क्षेत्र जल प्रबंधन में आने वाली चुनौतियाँ पर भी चर्चा की।  साथ ही उन्होंने हिमालयी ग्रामीण क्षेत्र में जल प्रबंधन की चुनौतियों के लिए बहुत ही नवीन तरीके भी सुझाए।

डॉ० सोबन सिंह रावत, वैज्ञानिक ई, हाइड्रोलॉजिकल इन्वेस्टीगेशन डिवीज़न, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की ने अपने एक्सपर्ट लेक्चर में पहाड़ी क्षेत्र में जल सुरक्षा विषय पर चर्चा की। उन्होंने हिमालयी झरनों के पुनरुद्धार के महत्व को समझाते हुए वैज्ञानिक पहलुओं पर जानकारी दी। साथ ही उन्होंने बताया कि हिमालयी झरनों के पुनरुद्धार से पहाड़ी क्षेत्रों में पानी की कमी की समस्या का समाधान किया जा सकता है।      

कार्यशाला के अन्य तकनीकी सत्र में डॉ० दीपक कुमार, सहायक प्रोफेसर, मृदा और जल संरक्षण विभाग, जी बी पंत एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, पंतनगर ने व्याख्यान दिया। उन्होंने अपने व्याख्यान में  उत्तराखंड में भूजल की गुणवत्ता पर जानकारी दी। साथ ही उन्होंने भूजल की मात्रा और उसकी संभावनाओं पर चर्चा की।

कार्यशाला प्रतिभागियों लिए ज्ञानवर्धक रही और प्रश्नोत्तर सत्र में उत्सुकता से प्रश्न पूछे।

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