वेस्ट मैनेजमेंट कार्यशाला के साथ महाविद्यालय का सात दिवसीय एनएसएस शिविर संपन्न

वेस्ट मैनेजमेंट कार्यशाला के साथ महाविद्यालय का सात दिवसीय एनएसएस शिविर संपन्न

रेनबो समाचार * 27 मार्च 2021

देवप्रयाग। राजकीय महाविद्यालय देवप्रयाग में सात दिवसीय राष्ट्रीय सेवा योजना शिविर का आज समापन हुआ। इस अवसर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर एक कार्यशाला भी आयोजित की गयी। समापन के पर छात्र -छात्रों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी है।

सॉलिड वेस्ट वर्कशॉप का आयोजन उत्तराखंड स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (यूकोस्ट), डिपार्टमेंट ऑफ इंफॉर्मेशन एंड साइंस टेक्नोलॉजी – गवर्नमेंट ऑफ उत्तराखंड, लक्ष्य सोसायटी देहरादून एवं राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई देवप्रयाग नमामि गंगे प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वाधान से किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि पूर्व नगर पंचायत अध्यक्षा शुभांगी कोटीयाल, महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ० शांति प्रकाश सती द्वारा दीप प्रज्वलित कर की गई। मुख्य अतिथि शुभांगी कोटीयाल ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन भारत ने बहुत बड़ी समस्या का रूप ले रहा है। यूकोस्ट के डायरेक्टर जनरल डॉ० राजेंद्र डोभाल ने अपने ऑनलाइन संबोधन में कहा अपशिष्ट से न केवल पारिस्थितिकी तंत्र और स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है, बल्कि यह समाज पर आर्थिक बोझ को भी बढ़ाता है। इसके अलावा अपशिष्ट प्रबंधन में भी काफी धन खर्च होता है। अपशिष्ट संग्रहण, उसकी छंटाई और पुनर्चक्रण के लिये एक बुनियादी ढाँचा बनाना अपेक्षाकृत काफी महंगा होता है, हालाँकि एक बार स्थापित होने के पश्चात् पुनर्चक्रण के माध्यम से धन कमाया जा सकता है और रोज़गार भी सृजित किया जा सकता है।

यूकोस्ट से आए विषय विशेषज्ञ असवाल ने अपने संबोधन में कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए देश के विभिन्न भागों में इस दिशा में पहल की जा रही है परंतु अभी भी इस क्षेत्र में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। लक्ष्य सोसाइटी से आए विषय विशेषज्ञ सुनील राणा ने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली 2016 वन और जलवायु परिवर्तन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण, बोर्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, स्थानीय निकायों और ग्राम पंचायतों तथा कूड़ा उत्पन्न करने वाले समेत विभिन्न भागीदारों की जिम्मेदारी रेखांकित की गई है यह मूल जिम्मेदारी कूड़े की छटाई जो ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की आवश्यकता है।

कार्यक्रम के अध्यक्ष महाविद्यालय के प्राचार्य ने अपने संबोधन में कहा की बढ़ते शहरीकरण और उसके प्रभाव से निरंतर बदलती जीवनशैली ने आधुनिक समाज के सम्मुख घरेलू तथा औद्योगिक स्तर पर उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट के उचित प्रबंधन की गंभीर चुनौती प्रस्तुत की है। वर्ष-दर-वर्ष न केवल अपशिष्ट की मात्रा में बढ़ोतरी हो रही है, बल्कि प्लास्टिक और पैकेजिंग सामग्री की बढ़ती हिस्सेदारी के साथ ठोस अपशिष्ट के स्वरूप में भी बदलाव नज़र आ रहा है।

कार्यशाला के संयोजक राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के कार्यक्रम अधिकारी एवं नमामि गंगे प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी डॉ० अशोक कुमार मेंदोला ने अपने संबोधन में कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन की बढ़ती समस्या ने देश को इस विषय पर नए सिरे से सोचने को मज़बूर किया है और इस संदर्भ में कई तरह के सराहनीय प्रयास भी किये जा रहे हैं, परंतु इस प्रकार के प्रयास अभी तक देश भर में व्यापक स्तर पर अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या से निपटने के लिये अपनी उपयोगिता साबित करने में नाकाम रहे हैं।

डॉक्टर मेंदोला ने सात दिवसीय शिविर की आख्या प्रस्तुत की। शिविर में नवीन एवं राधिका को सर्वश्रेष्ठ स्वयंसेवी चुना गया। महाविद्यालय के पूर्व राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवी दीपक बेड़वाल, ग्राम प्रधान निगेर एवं अरविंद – गंगा पहरी द्वारा कोरोना काल में किए गए उत्कृष्ट कार्य के लिए क्रोना वॉरियर्स की ट्रॉफी देकर सम्मानित किया गया।
समापन्न पर डॉ० महेशानंद नौरियाल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर डॉ० दिनेश कुमार, डॉ० लीना पुंडीर, डॉ० पारुल रतूड़ी, डॉ० शीतल, डॉ० इलियास आदिल, डॉ० मनीषा सती, डॉ० गुरु प्रसाद थपलियाल, डॉ० मीनाक्षी राणा, डॉ० रंजू उनियाल, निकिता चौहान, सुरेंद्र बिजलवान, नरेंद्र बकराडी एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवियों के साथ महाविद्यालय के 140 छात्र छात्राओं ने इस कार्यशाला में प्रतिभाग किया। सभी को प्राचार्य एवं मुख्य अतिथि द्वारा प्रमाण पत्र दिए गए।

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