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हरित संगम कार्यक्रम का आयोजन, आगामी चार माह में जल स्रोतों के पुनर्जीवन पर होगा कार्य

हरित संगम कार्यक्रम का आयोजन, आगामी चार माह में जल स्रोतों के पुनर्जीवन पर होगा कार्य

पर्यावरण गतिविधि द्वारा उत्तराखंड में आगामी चार माह में ‘नौला धारा संरक्षण चतुर्मास’ के अंतर्गत पर्वतीय जल स्रोतों के प्रबंधन और पुनर्जीवन कार्यों को प्रमुखता से किया जाएगा: सच्चिदानंद भारती

23 फरवरी 2025, देहरादून। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, पर्यावरण गतिविधि महानगर देहरादून और सुशीला इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में “हरित संगम” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन कारगी चौक स्थित कृष्णा गार्डन में किया गया।

कार्यक्रम के अध्यक्ष पर्यावरण गतिविधि के प्रांत संयोजक सच्चिदानंद भारती ने किया।  उन्होंने कहा कि पर्यावरण बचाने में जन-सहभागिता से हम सभी को कार्य करने हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि पर्यावरण गतिविधि के द्वारा उत्तराखंड में आगामी चार माह में ‘नौला धारा संरक्षण चातुर्मास’ के अंतर्गत पर्वतीय प्राकृतिक जल स्रोतों के प्रबंधन और पुनर्जीवन के कार्यों को प्रमुखता से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पर्वतीय जल स्रोतों का प्रबंधन परंपरागत शिल्प कला के माध्यम से किया जाना चाहिए और हमें सीमेंट आदि का प्रयोग कम से कम करना चाहिए।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में सुशीला इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज के अध्यक्ष तुषार सिंघल ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण में विद्यार्थियों एवं युवाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है और इन्हें पर्यावरण संरक्षण संबंधी कार्यों से जोड़ना होगा।

अतिथियों का परिचय करते हुए पर्यावरण गतिविधि देहरादून महानगर उत्तर के संयोजक डॉ० भवतोष शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि जल स्रोतों का प्रबंधन, उनकी स्वच्छता तथा उनका पुनर्जीवन सामाजिक सहभागिता से सुनिश्चित किया जा रहा है। हर रविवार दून घाटी के प्राकृतिक जल स्रोतों की स्वच्छता एवं प्रबंधन संबंधी कार्य किए जा रहे हैं।

पर्यावरण गतिविधि के देहरादून दक्षिण भाग के संयोजक जगदंबा नौटियाल ने “पेड़, पानी, पॉलिथीन” पर अपना व्याख्यान देते हुए पर्यावरण बचाने की अपील की।

डॉ० ज्योति जुयाल ने “हरित घर संकल्पना” पर अपना व्याख्यान दिया। डीबीएस महाविद्यालय की प्रोफेसर डॉ० अलका सूरी ने “पर्यावरण संरक्षण में महिलाओं की भूमिका” विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। उत्तराखंड रेड क्रॉस के महासचिव डॉ० हरीश खंकरियाल ने “पर्यावरण संरक्षण में युवा शक्ति की भूमिका” पर अपना व्याख्यान दिया।

डॉ० दीपिका डिमरी ने “पर्यावरण में पॉलीथिन के दुष्प्रभाव और विकल्प” विषय पर अपना व्याख्यान दिया। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय देहरादून के कृषि विज्ञान विभाग के प्राध्यापक डॉ० अनिल कुमार सक्सेना ने “जैविक खेती और पर्यावरण संरक्षण” विषय पर व्याख्यान दिया।

डॉ० भवतोष शर्मा ने “प्रयागराज महाकुंभ हेतु एक थैला एक थाली अभियान की सफलता” की जानकारी दी। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ० दीपक जोशी ने जल स्रोत प्रबंधन पर मसूरी क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्यों को प्रस्तुत किया। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ० दीपक सेमवाल ने “औषधीय पौधों के महत्व” पर प्रकाश डाला। 

ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के प्राध्यापक रमेश रावत ने पर्यावरण संरक्षण में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन विषय पर उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में बताया और कहाँ की कचरे का समाधान हर घर से ही संभव है। 

इस अवसर पर राजेश्वरी सेमवाल, दीपा जोशी, रिंकी पंत, राजेश पंत, के पी सकलानी, गोविंद कंडारी, जयवीर, रोहन पंवार, शुभाशीष ढौंडियाल, उमेश उनियाल, मनीषा पांडे, दीक्षा, उत्तरांचल विश्वविद्यालय के डॉ० मनवीर सिंह, डॉ० चेतन शर्मा, मयंक नौटियाल सहित 100 से अधिक लोग कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

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