देहरादून। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर एक बार फिर असमंजस की स्थिति बन गई है। प्रदेश के 12 जिलों में ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों का कार्यकाल नवंबर-दिसंबर 2024 में समाप्त हो चुका है, लेकिन अब तक चुनाव नहीं हो पाए हैं। इसके चलते सरकार ने पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति की थी, जिनका कार्यकाल अब मई 2025 में समाप्त हो रहा है।
चुनाव टाले जाने के पीछे शासन ने बताई अपरिहार्य परिस्थितियां
शासन का कहना है कि समय पर चुनाव न करा पाने के पीछे कुछ अपरिहार्य परिस्थितियां थीं। शुरू में सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) को प्रशासक नियुक्त किया गया था, फिर निवर्तमान प्रधानों को यह जिम्मेदारी दी गई। अब इनका कार्यकाल बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।
आरक्षण और दो से अधिक बच्चों वाला प्रावधान बना रोड़ा
पंचायती राज एक्ट में संशोधन की स्थिति स्पष्ट नहीं है। ओबीसी आरक्षण और दो से अधिक बच्चों वाले प्रत्याशियों पर प्रतिबंध को लेकर निर्णय लंबित है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, आरक्षण लागू करने में 10-15 दिन और चुनावी प्रक्रिया के लिए कम से कम 25-30 दिन और चाहिए होंगे।
विकास कार्यों पर असर, पंचायत संगठन ने जताई नाराजगी
पंचायत संगठन संयोजक जगत सिंह मर्तोलिया का कहना है कि प्रशासनिक समितियों के जरिये कार्यकाल बढ़ाया जाना चाहिए था, न कि प्रशासकों के माध्यम से। इससे राज्य वित्त और 15वें वित्त आयोग की 16 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग नहीं हो पा रहा है।
चुनाव की मांग तेज
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और पंचायत संगठनों ने जल्द से जल्द पंचायत चुनाव कराने की मांग की है। उनका कहना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था बनाए रखने और विकास कार्यों को गति देने के लिए चुनी हुई पंचायतों को कार्य करने का अवसर मिलना चाहिए।