खाद्य मिलावट की पहचान पर विशेष व्याख्यान, डॉ. बृज मोहन शर्मा ने बताए आसान घरेलू परीक्षण

खाद्य मिलावट की पहचान पर विशेष व्याख्यान, डॉ. बृज मोहन शर्मा ने बताए आसान घरेलू परीक्षण

देहरादून। देहरादून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर (DLRC) और स्पेक्स (SPECS) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “दि देहरादून डायलॉग (TDD)” के अंतर्गत गुरुवार को एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। विषय था – “खाद्य मिलावट को जानें और पहचानें”

कार्यक्रम में पर्यावरण वैज्ञानिक और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. बृज मोहन शर्मा ने छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और आम नागरिकों को खाद्य मिलावट के खतरों और उनकी पहचान के सरल घरेलू तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

डॉ. शर्मा ने कहा कि आज दूध, पनीर, घी, मसाले, आटा, चीनी, नमक से लेकर फल-सब्ज़ियों तक में खतरनाक रसायनों और पदार्थों की मिलावट हो रही है। यह न केवल उपभोक्ताओं को धोखा देती है बल्कि धीरे-धीरे शरीर को कैंसर, किडनी रोग, हार्मोन असंतुलन और बच्चों में विकास रुकने जैसी गंभीर बीमारियों का घर बना रही है।

घरेलू परीक्षण बताए

  • हल्दी: हल्दी को गर्म पानी में डालें। यदि पानी गहरे नारंगी रंग का हो जाए तो उसमें कृत्रिम रंग की मिलावट है।
  • दूध टाइल या शीशे पर दूध की बूंद गिराएँ। शुद्ध दूध धीरे फैलेगा, जबकि मिलावटी दूध पानी की तरह फैल जाएगा।
  • चीनी: पानी में घोलने पर अगर तल में सफेद पाउडर बचा रह जाए तो उसमें चॉक की मिलावट है।
  • आटा: आटे में नींबू का रस डालने पर झाग उठे तो उसमें चूना मिला हो सकता है।
  • दालें: पानी में भिगोने पर यदि रंग निकलने लगे या सतह से परत उतरने लगे तो समझें दाल पॉलिश या रंगी हुई है।
  • चाय पत्ती: शुद्ध चाय धीरे-धीरे रंग छोड़ेगी, जबकि मिलावटी पत्तियाँ तुरंत गहरा रंग देंगी।
  • फल-सब्ज़ियाँ: जिन पर अस्वाभाविक चमक और चिकनाई दिखे, उनमें वैक्स या रसायनों की मिलावट हो सकती है।

SPECS की पहल

डॉ. शर्मा ने बताया कि SPECS संस्था वर्ष 1999 से मिलावट के विरुद्ध अभियान चला रही है। वर्ष 2004 में संस्था ने “रसोई कसौटी” किट विकसित की, जिसे भारत सरकार से मान्यता मिली और आज यह देशभर में खाद्य पदार्थों की शुद्धता जांचने के लिए उपयोगी साबित हो रही है।

समाधान पर जोर

उन्होंने कहा कि मिलावट की समस्या का समाधान केवल सरकार ही नहीं, बल्कि समाज, विद्यालयों, व्यापारियों और परिवारों की सामूहिक जिम्मेदारी है। उपभोक्ता जागरूकता और घरेलू परीक्षण इसके खिलाफ सबसे बड़ा हथियार हैं।

कार्यक्रम में उत्तरांचल विश्वविद्यालय और माया देवी विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं सहित करीब 100 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।