विशेष: विश्व  पर्यावरण दिवस – ‘पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली’

विशेष: विश्व पर्यावरण दिवस – ‘पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली’

डॉ0 सुमन नैथानी

विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है। यह सार्वजनिक अवकाश नहीं है। यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा चलाया जाने वाला एक पर्यावरण जागरूकता दिवस है। इसे कभी-कभी अनौपचारिक रूप से इको दिवस भी कहा जाता है। इस दिन का उद्देश्य पर्यावरण और विशिष्ट पर्यावरण के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। विश्व पर्यावरण दिवस 2021 की थीम ‘पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली’ है और पाकिस्तान इस बड़े दिन का वैश्विक मेजबान होगा। इस दिन पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक का शुभारंभ भी होगा।

पिछले पांच दशकों से विश्व पर्यावरण दिवस जागरूकता बढ़ा रहा है, कार्रवाई का समर्थन कर रहा है और बदलाव ला रहा है। प्रस्तुत है पिछले कुछ विश्व पर्यावरण दिवस के विषयों और हाल के इतिहास की झलक। विश्व पर्यावरण दिवस 2020 में, थीम ‘सेलिब्रेट बायोडायवर्सिटी’ थी। कोलंबिया मेजबान देश था।

विश्व पर्यावरण दिवस 2019 में चीन ने ‘वायु प्रदूषण’ विषय पर वैश्विक विश्व पर्यावरण दिवस समारोह की मेजबानी की। विश्व पर्यावरण दिवस 2018 की थीम ‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’ थी और मेजबान देश भारत था। इस विषय को चुनकर इसका उद्देश्य है कि लोग प्लास्टिक प्रदूषण के भारी बोझ को कम करने के लिए अपने दैनिक जीवन को बदलने का प्रयास कर सकें।

विश्व पर्यावरण दिवस 2017 के आधिकारिक समारोह की मेजबानी कनाडा द्वारा की गई थी और यह ‘प्रकृति के साथ लोगों को जोड़ना’ विषय पर केंद्रित था। दिन को चिह्नित करने के लिए दुनिया भर में कार्यक्रम हुए। 2016 विश्व पर्यावरण दिवस (WED) की थीम अवैध वन्यजीव व्यापार (IWT) थी । यह दुनिया भर में मनाया गया, जिसमें अंगोला मेजबान देश था।

2015 विश्व पर्यावरण दिवस (WED) की थीम सात अरब सपने, एक ग्रह थी । यह दुनिया भर में मनाया गया, जिसमें रोम मेजबान देश था। आज जब हम ‘पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली’ की बात करते हैं तो हमें सबसे पहले पारिस्थितिक तंत्र के सब महत्वपूर्ण अंग यानि कि वृक्षों के बारे में सोचना होगा। पीपल , बरगद, नीम, आमला, तुलसी जैसे वृक्ष वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाते हैं साथ ही धरती का तापमान भी कम करते हैं। इन वृक्षों को रोपना बंद करके या काटकर हमने अपना बड़ा नुकसान कर लिया है जिसके कारण सूखे की समस्या बढ़ रही है।

भविष्य में हमें भरपूर मात्रा में नैसर्गिक ऑक्सीजन मिले इसके लिए हमें आज ही अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना होगा। तभी हमारा देश प्रदूषणमुक्त हो पायेगा।

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