हिन्दुस्तानी संकृति इतनी महान होने के बावजूद भी बरसों से देश में इस्लामी सत्ता का इतिहास पढाया जा रहा है। देश में इस्लामी आक्रमण से पहले से हिन्दू शासकों ने आदर्शवादी समाज तैयार किया था। लेकिन इसे अब तक के इतिहास में नजरअंदाज किया जा रहा था। अब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने मुस्लिम हमलावरों के इतिहास को इतिहास के पाठ्यक्रम से बाहर करने का फैसला किया है।
पूर्व-स्नातक पाठ्यक्रमों का इतिहास अकबर और मुगलों की तुलना में महाराणा राणा प्रताप और सम्राट विक्रमादित्य के इतिहास पर अधिक ध्यान केंद्रित करेगा। यूजीसी ने एक नया इतिहास पाठ्यक्रम विकसित किया है। यह उन मुस्लिम आक्रमणकारियों की तुलना में भारतीय शासकों के प्रदर्शन और उनके गौरवशाली इतिहास पर अधिक प्रकाश डालेगा, जिन्होंने भारत पर आक्रमण किया और इसकी कई संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया। भारत के इतिहास (1206-1707 ई.) में अब अकबर और मुगलों के स्थान पर हिंदू शासक राणा प्रताप और हेमू विक्रमादित्य की शक्ति को रेखांकित किया जाएगा।
संपन्न हिन्दुस्तानी संस्कृति
वैदिक काल से लेकर बरसों तक हिन्दुस्तान में अनेक महान राजा-महाराजा होकर गए है। अपनी वीरता और पराक्रम से उन्होंने बाहरी आक्रमणों को उधेड़ दिया था। सम्राट विक्रमादित्य, महाराणा प्रताप, छत्रपती शिवाजी महाराज, महाराजा कृष्णदेवराय जैसे महान योद्धाओं ने इस धरती को गुलाम बनने से रोका था। स्वाभिमान से प्रेरित इन राजाओं ने इस्लामी ताकतों के खिलाफ अपनी सेना खड़ी की और अपना वतन, अपनी मिट्टी के लिए प्राण न्यौछावर किये थे। राजपुताना के राजपूत, महाराष्ट्र के मराठा, दख्खन के सरदार और अन्य पराक्रमी योद्धाओं ने हमेशा ही इस देश की खातिर तलवार उठाई है। अब यही स्वाभिमानी इतिहास यूजीसी के पाठ्यक्रम में दिखाई देगा। दुसरे देश से आकर इस मिटटी को गुलाम बनाने के सपने देखनेवाले इस्लामी आक्रमणकारियों को हटाने का निर्णय निश्चित ही सराहनीय है। प्राचीन भारत से विज्ञान और प्रौद्योगिकी की जानकारी को भी पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की उम्मीद है। सूत्रों ने दी जानकारी के अनुसार छात्रों को वैदिक काल, वेदों और उपनिषदों के दौरान भारत कैसा था, इसकी जानकारी देने के लिए अध्ययन आदेश में बदलाव किया गया है।
इस्लामी आक्रमण का हिन्दुस्तान में प्रभाव
इस्लामी आक्रमणकारियों ने हिंदुस्तान में आकर यहाँ की संस्कृति की अवहेलना की| यहाँ के बहुसंख्य हिन्दू समुदाय की धार्मिक भावनाओं को बार बार ठेस पहुंचाई। हिन्दू समुदाय के पवित्र मंदिर तोड़कर जानबूझकर और सोच-समझकर मस्जिदे खड़ी की। इतिहास के पन्नों में ऐसे कई अनगिनत इस्लामी राजा मिलेंगे जिन्होंने बाकि धर्मों के लोगों को जबरन इस्लाम कबुल करवाया| जिझिया जैसे टैक्स गैर मुस्लिमो पर लगाए। लगभग सात सौ सालों अटक हिन्दुस्तान में इस्लामी सत्ता रही। लेकिन इन सत्ताओं के बिच अलग अलग कालखंडो में विभिन्न हिन्दू शासक भी होकर गए, जिन्होंने अपने स्वाभिमान के खातिर इन धर्मांध शक्तियों के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद किया। अब इसी शासकों के शौर्य की गाथा यूजीसी के पाठ्यक्रम में आ रही है, इसका निश्चित रूप से आनंद है।
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