ठंडो रे ठंडो मेरे पहाडै की हवा ठंडी – गीत से उत्तराखंड स्थापना महोत्सव का आगाज

ठंडो रे ठंडो मेरे पहाडै की हवा ठंडी – गीत से उत्तराखंड स्थापना महोत्सव का आगाज

राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रायपुर देहरादून में धूमधाम से मनाया जा रहा उत्तराखंड 22 वर्ष महोत्सव

देहरादून।  दिनांक 11 नवंबर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग द्वारा उत्तराखंड स्थापना महोत्सव नरेंद्र सिंह नेगी के गीत “ठंडो रे ठंडो मेरे पहाडै की हवा ठंडी” के साथ प्रारंभ हुआ।  छात्राओं द्वारा कुमाऊनी गीत विजेंद्र लाल साह द्वारा लिखा हुआ “बेडू पाको बारामासा” पर सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया गया। 

बीएससी जंतु विज्ञान के छात्र-छात्राओं द्वारा उत्तराखंड राज्य पर आधारित प्रश्नोत्तरी (क्विज) भी कराई गई। जिसमें प्रतिभाग करने वाले ग्रुपों का नाम चार धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ और अलकनंदा नदी के नाम पर रखा गया। 

कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर सतपाल सिंह साहनी द्वारा किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में छात्र-छात्राओं को बताया कि उत्तराखंड राज्य ने स्थापना से अब तक विकास की कई सोपान तय किये है। जिसमें उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक तरक्की हुई है। 

प्रो० दक्षा जोशी द्वारा उत्तराखंड राज्य के भौगोलिक परिवेश के बारे में बताया गया। डॉ० डिंपल भट्ट ने गढ़वाली कुमाऊंनी-संस्कृति का वर्णन किया। 

कार्यक्रम की संयोजिका तथा जंतु विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मधु थपलियाल ने छात्र छात्राओं को राज्य निर्माण आंदोलनों से लेकर वर्तमान तक की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि क्यों पर्वतराज उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ? उन्होंने छात्र-छात्राओं के बहुमुखी विकास पर बल दिया।  

प्राचार्य प्रोफेसर साहनी द्वारा कुछ प्रतियोगिता के परिणाम घोषित किए गए, जिसमें अलकनंदा प्रथम, गंगोत्री द्वितीय तथा बद्रीनाथ ग्रुप तृतीय स्थान पर रहे।  कार्यक्रम में डॉक्टर डिंपल भट्ट, डॉक्टर पूजा रानी, डॉक्टर अनीता चौहान द्वारा गढ़वाली-कुमाऊनी गीतों की प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया। 

डॉक्टर कार्यक्रम में डॉक्टर सरिता, डॉक्टर श्रुति, डॉक्टर नेहा, डॉक्टर प्रत्युषा, डॉक्टर  गुड्डी समेत समस्त छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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