न्यू टिहरी प्रेस क्लब ने ग्रामीण क्षेत्र से “वयोवृद्ध पत्रकार सम्मान” की शुरुआत की, सोमवारी लाल उनियाल को किया सम्मानित
टिहरी गढ़वाल 16 नवम्बर। राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर न्यू टिहरी प्रेस क्लब टिहरी गढ़वाल के तत्वावधान में क्रांतिकारियों की भूमि उनियाल गांव सकलाना में पहली बार सम्मान समारोह व कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। समारोह में वयोवृद्ध पत्रकार सोमवारी लाल उनियाल को उनके 82वें जन्मदिन पर ‘वयोवृद्ध पत्रकार सम्मान’ से नवाजा गया।
इस मौके पर श्री उनियाल द्वारा क्रांतिकारी मनोहर लाल उनियाल “श्रीमन” जी की कुटिया का जीर्णोद्धार कर कुटिया को विरासत का नाम देकर नई पीढ़ी को प्रेरणा दी। साथ ही सोमवारी लाल उनियाल जी की पुस्तक “धारा के गीत” एवं बोये जो सपने” का विमोचन भी किया ।
कार्यक्रम में मौजूद जनकवि सतीश धौलाखण्डी ने जनगीत ‘ये कैसी राजधानी है हवा में जहर है जहरीला पानी है’, हर्षमणी भट्ट ’कमल’, वेदिकावेद, मनोहर लाल श्रीमन की बेटी कल्पना ,सुरेश वशिष्ठ समेत तमाम साहित्यकारों, कवियों ने अपनी रचनाओं व जन गीतों के माध्यम से समां बांध दिया।
सोमवारी लाल उनियाल “प्रदीप” ने जीवन के कई संस्मरण सुनाते हुए गांव में लौटने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि बापू का कहना था कि भारत की आत्मा गांव में बस्ती है इसलिए शहर के बजाय गांव में कार्यक्रम कर न्यू टिहरी प्रेस क्लब ने सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि गांव की समस्याओं को समाचारों में जगह मिले जिससे शासन प्रशासन का ध्यान ग्रामीणों के विकास में अग्रसर हो सके।
इस मौके पर न्यू टिहरी प्रेस क्लब अध्यक्ष शशि भूषण भट्ट ने सभा की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रेस क्लब आगामी बरसों में भी वयोवृद्ध पत्रकारों को उन्हीं के क्षेत्र में सम्मानित करने का कार्य करेगा।
सम्मान समारोह को पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष गोविंद बिष्ट, प्रेस क्लब महासचिव गोविंद पुंडीर, नगर पंचायत चंबा के पूर्व अध्यक्ष पीयूष उनियाल, पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष मीरा सकलानी, पूर्व जिला पंचायत सदस्य अखिलेश उनियाल, सतीश उनियाल,जयकृष्ण उनियाल, डॉ हर्षमणी भट्ट ‘कमल’, इंद्र सिंह उर्फ प्रताप बिष्ट, रिटायर्ड आईजी बीएसएफ जयंती प्रसाद उनियाल, प्रेस क्लब श सचिव बलवन्त रावत, कोषाध्यक्ष धनपाल गुनसोला, सुभाष राणा, बलवीर सिंह नेगी, अजयपाल पंवार, आदि ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम का संचालन पूर्व प्रधानाचार्य व कवि सोमवारी लाल सकलानी ने किया।
षष्टि पूर्ति पर ‘विरासत’ का निर्माण
• अपने जन्म दिन (16 नवम्बर) पर पूर्वजों का पुण्य स्मरण करते हुए उनियाल गांव की ‘बाल सभा’ की स्मृति से मेरा दिल दिमाग रोमांचित है। अपने जन्मकाल (1942) से पूर्व निर्मित उस कुटी का पुनर्निर्माण भी मैं इन दिनों कर रहा हूँ जिसके बनाने में मेरे पिता स्व० सुखदेव और ताऊ स्व० चन्द्रमणी जी ने अथक श्रम साधना की होगी उस जमाने किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य कंधों और पीठ के बल पर ही सम्भव हो पाता था। स्वाधीनता आन्दोलन की सुगबुगाहट शुरू होने पर छोटे भाई मनोहर ने देहरादून में पढ़ाई छोड़कर राजनैतिक संघर्ष की दिशा में कदम बढ़ाए तो बड़े भाईयों ने गांव में उनके ठहरने और गतिविधियों को संचालित करने के लिए जो छोटा सा कमरा बनाया उसे ‘बैठक’ की संज्ञा मिल गई।
उसी बैठक में मनोहर लाल ‘श्रीमन्’ की अगुवाई में ‘ बाल सभा’ की स्थापना की गई। जिसमें गांव के तरूण और युवा शिरकत करने लगे। उसी बाल सभा के कार्यकर्ता कालान्तर में प्रजामण्डल के सिपाही बनकर क्रान्ति पथ पर अग्रसर हुए और सकलाना में शान से तिरंगे लहराने लगे। यह सुखद संयोग है कि यह वर्ष मेरे सार्वजनिक जीवन (1963 से शुरू की ‘षष्टि पूर्ति’ का भी वर्ष है और इन्हीं दिनों में ‘बैठक’ को ‘विरासत’ का रूप देने का यत्किंचित प्रयास कर रहा हूँ।
‘टिहरी की संघर्ष गाथा : सामंत काल से अमृत काल तक’ पर आधारित ‘उत्तरांचल’ का विशेषांक भी इसी पृष्ठभूमि पर केन्दित है। मनीषी लेखकों और रचनाकारों ने ऐतिहासिक और सामयिक सन्दर्भों को लेकर जो मूल्यवान और विचारोत्तेजक सामग्री प्रस्तुत की है, आशा है उससे हमारे पाठक लाभान्वित होंगे।
आप सभी का आभार प्रकट करते हुए सदैव की भांति स्नेहाकांक्षी-
-सोमवारी लाल उनियाल ‘प्रदीप’