21 जून, 2024 को “प्रकृति के साथ जीने पर राष्ट्रीय सम्मेलन” (LNSWSEC-2024) का आयोजन हुआ, जिसमें विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। सम्मेलन के मुख्य विषय स्थायी मिट्टी और जल प्रबंधन, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ, और कृषि पारिस्थितिकीय संक्रमण थे। इस सम्मेलन का उद्देश्य प्रकृति और आजीविका के बीच संतुलन बनाने के तरीकों की खोज करना था।
मुख्य चर्चाएँ और मुख्य बातें निम्नलिखित थीं:
- विशेष सत्र और अध्यक्षता:
- आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी के निदेशक डॉ. एम. मधु ने कृषि पारिस्थितिकीय विश्लेषण और परंपराओं पर एक विशेष सत्र की अध्यक्षता की।
- आईडब्ल्यूएमआई के डॉ. गोपाल कुमार और आईआईएसडब्ल्यूसी कोटा के आरसी प्रमुख डॉ. साकिर अली ने सह-अध्यक्षता की।
- पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर जोर:
- आईआईएसडब्ल्यूसी के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एम. मुरुगनंदम ने आर्द्रभूमि के महत्व और संरक्षण पर बल दिया।
- सामुदायिक सहभागिता और नीति समर्थन की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
- कृषि पारिस्थितिकीय संक्रमण:
- आईएसीआर-आईआईएफएसआर, मोदिपुरम के परियोजना समन्वयक डॉ. रविशंकर ने एकीकृत खेती प्रणाली की भूमिका पर चर्चा की।
- जल प्रबंधन:
- आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर डॉ. सुमित सेन ने स्प्रिंगशेड प्रबंधन पर बात की।
- आईसीएआर-आईएआरआई के डॉ. रंजन भट्टाचार्य ने स्थायी जल प्रबंधन प्रथाओं पर प्रकाश डाला।
- जलागम प्रबंधन रणनीतियों पर श्रीमती नीना ग्रेवाल ने जानकारी दी।
- अन्य प्रमुख प्रस्तुतियाँ:
- प्रोफेसर सांगु अंगडी और डॉ. राजीव पांडे ने पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं और जलवायु प्रतिरोध पर प्रस्तुतियाँ दीं।
- सम्मेलन में 40 से अधिक प्रस्तुतियाँ और 50 पोस्टर प्रदर्शित किए गए, जिनमें मृदा और जल संरक्षण पर शोध शामिल थे।
इस सम्मेलन ने सतत प्रथाओं को बढ़ावा देने और प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाने के प्रयासों के महत्व को रेखांकित किया।