केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में ‘वीनस ऑर्बिटर मिशन’ (VOM) को मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि इस मिशन के लिए कुल 1236 करोड़ रुपये की निधि स्वीकृत की गई है, जिसमें से 824 करोड़ रुपये अंतरिक्ष यान के विकास और निर्माण पर खर्च किए जाएंगे।
वीनस ऑर्बिटर मिशन के उद्देश्य
इस मिशन का प्रमुख उद्देश्य शुक्र ग्रह के वायुमंडल और भूविज्ञान की गहन जांच करना है। यह ग्रह, जो पृथ्वी के सबसे नजदीक है, पृथ्वी और शुक्र के विकास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि शुक्र का निर्माण पृथ्वी के समान परिस्थितियों में हुआ था, लेकिन इसके वायुमंडल ने एक अलग दिशा में विकास किया है।
वृहद रोजगार और तकनीकी विकास
इस मिशन के निर्माण और प्रक्षेपण के दौरान भारतीय उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी भी होगी, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार सृजित होंगे और तकनीकी क्षेत्र में प्रगति होगी। छात्रों को डिज़ाइन, विकास और परीक्षण के विभिन्न चरणों में प्रशिक्षण देकर मिशन से जोड़ा जाएगा।
मिशन का समय और महत्व
वीनस ऑर्बिटर मिशन के मार्च 2028 तक पूरा होने की उम्मीद है। यह मिशन भारत को भविष्य में बड़े पेलोड वाले ग्रह मिशनों के लिए सक्षम बनाएगा और वैश्विक विज्ञान समुदाय को नए आंकड़े और परिणाम प्रदान करेगा।
यह मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक बड़ा कदम होगा, जिससे विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उन्नति की संभावनाएं बढ़ेंगी।