नई दिल्ली, 6 अप्रैल 2025। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 अब कानून बन चुका है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद सरकार ने अधिसूचना जारी कर इसे सार्वजनिक किया। इससे पहले विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा दोनों में बहुमत से पारित किया गया था।
संसद में लंबी बहस और तीखी नोकझोंक
राज्यसभा में करीब 14 घंटे की बहस के बाद विधेयक को 128 मतों से मंजूरी मिली, जबकि 95 सांसदों ने इसका विरोध किया। लोकसभा में भी 12 घंटे तक चली चर्चा के बाद 288 वोट पक्ष में और 232 विपक्ष में पड़े।
विपक्ष का आरोप: मुस्लिम विरोधी और असंवैधानिक
विपक्षी दलों ने विधेयक को मुस्लिम विरोधी और संविधान विरोधी बताया। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद समेत कई नेताओं ने इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनका कहना है कि यह अल्पसंख्यक समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
चार याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर
अब तक चार याचिकाएं इस कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जा चुकी हैं। इनमें एक याचिका AAP विधायक अमानतुल्लाह खान ने दायर की है, जबकि अन्य याचिकाएं ओवैसी, मोहम्मद जावेद और एक सिविल राइट्स संगठन की ओर से हैं। अब सभी याचिकाओं में ‘विधेयक’ की जगह ‘कानून’ शब्द जोड़कर तकनीकी सुधार करना होगा।
AIMPLB ने किया विरोध का ऐलान
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस कानून के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन और जागरूकता अभियान चलाने की घोषणा की है। AIMPLB ने कहा है कि वह गलत जानकारियों का मुकाबला करेगा और शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज कराएगा।
सरकार की ओर से कहा गया है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा, लेकिन विपक्ष इसे समुदाय विशेष के अधिकारों का हनन मान रहा है। मामला अब न्यायिक समीक्षा के अधीन है।