जज्बे और जवाहर नवोदय में अध्ययन से लाच्छो का सपना साकार, महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनी सब-इंस्पेक्टर

जज्बे और जवाहर नवोदय में अध्ययन से लाच्छो का सपना साकार, महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनी सब-इंस्पेक्टर

बचपन में अपने समाज की महिलाओं को अपने शराबी पतियों से पिटता देखकर पुलिस में भर्ती होने की ठानी, विकट आर्थिक स्तिथि के बावजूद SI बन किया सपना साकार

रेनबो न्यूज़ इंडिया 

Rajasthan: लाच्छो कुमारी भील का जन्म 10 फरवरी 1995 को राजस्थान के एक गांव के मजदूर परिवार में हुआ था। जैसलमेर जिले की पोकरण तहसील के रामदेवरा के निवासी श्रीमती पेंपो देवी और श्री पोकर राम लाच्छो माता पिता पेशे से मजदूर है।

कक्षा 6 से 12 की शिक्षा नवोदय विद्यालय से प्राप्त की

लाच्छो कुमारी की प्रारंभिक शिक्षा कक्षा 5 तक रामदेवरा में हुई। जिला स्तरीय जवाहर नवोदय विद्यालय की परीक्षा में चयनित होने पर कक्षा 6 से 12वी तक की पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय मोहनगढ़ जैसलमेर से पूरी की। BA की डिग्री कमला नेहरू महिला महाविधालय जोधपुर और उसके बाद MA (अर्थशास्त्र) की डिग्री जयनारायण विश्वविद्यालय से प्राप्त की।

परिवार के न चाहने पर भी स्कूल में प्रवेश ले कर पढाई शुरू की

लाच्छो कुमारी बताती है कि बचपन के दिनों में पड़ोसी की लड़की को स्कूल जाते देखा तो स्कूल जाने की इच्छा जागृत हुई। तो एडमिशन के लिए घर वालों से 10 रुपये मांगे तो उन्होंने पैसे देने से मना कर दिया, क्योंकि परिवारजन लाच्छो कुमारी के स्कूल जाने के खिलाफ थे। तब पड़ोसी आंटी ने लाच्छो कुमारी का एडमिशन स्कूल में करवाया। उसके बाद परिवार से लड-झगड़कर 5वीं कक्षा तक लाच्छो कुमारी ने रामदेवरा में ही पढ़ाई की।

घर में बिजली न होने पर तेल वाली चिमनी में करती थी पढ़ाई

लाच्छो कुमारी बताती है कि परिवार की आर्थिक स्तिथि ठीक ना होने के कारण घर मे बिजली का कनेक्शन भी नही था। जिसके कारण लाच्छो कुमारी को चिमनी के सहारे पढ़ाई करनी पड़ती थी। रात में चिमनी में पढ़ाई करने के कारण चिमनी का धुंए से सांस लेने में काफी दिक्कत होती थी।

शिक्षिका के मार्गदर्शन और सहयोग से नवोदय में चयनित

कक्षा 5 उर्त्तीण होने के बाद विद्यालय की शिक्षिका के द्वारा लाच्छो कुमारी को जवाहर नवोदय विद्यालय के बारे में जानकारी दी। जानकारी मिलने के बाद लाच्छो कुमारी ने मन बना लिया था कि जवाहर नवोदय विद्यालय में दाखिला लेना है। लेकिन जवाहर नवोदय की राह इतनी भी आसान नही थी। क्योंकि आर्थिक स्तिथि खराब होने के कारण लाच्छो कुमारी के लिए यह सब सम्भव नही था। तब उसकी शिक्षिका ने अपने पैसों से लाच्छो कुमारी को पुस्तकें दिलवाई ओर साथ कि दाखिले के लिए होने वाली परीक्षा की भी तैयारी करवाई। चयन परीक्षा में लाच्छो कुमारी ने 90% अंक लाकर विद्यालय में दाखिले की राह आसान कर दी।

विद्यालय में दाखिले के लिए अंतिम रूप से दस्तावेज जमा करवाने होते और साथ ही कुछ दस्तावेजों पर पिता के हस्ताक्षर की भी आवश्यकता होती है। तो लाच्छो कुमारी के पिताजी ने दस्तावेजो पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। तब लाच्छो कुमारी ने बड़ी चालाकी से अपने पिताजी के हस्ताक्षर खुद कर दिए। कुछ दस्तावेजो कि कमी थी जिसके कारण विद्यालय में दाखिला नही हो सकता था। तब लाच्छो कुमारी के रिश्तेदार ने अपने पैसों से वो दस्तावेज भी बनवा लिए। इस प्रकार लाच्छो कुमारी ने सभी दस्तावेज जमा करवा कर विद्यालय में दाखिला ले लिया।

विद्यालय प्रतियोगिताओं में उत्तम प्रदर्शन

लाच्छो कुमारी बताती है कि कक्षा 9 के दौरान उन्हें माइग्रेशन के लिए 1 वर्ष के लिए आंधप्रदेश के रंगारेड्डी जिले के जवाहर नवोदय विद्यालय में सलेक्शन हुआ। इस दौरान उन्होंने 1 वर्ष वही रहकर पढ़ाई की। उस दौरान उन्होंने विद्यालय में होने वाली हिंदी प्रतियोगिता के 7 भागों में भाग लिया। इन 7 प्रतियोगिता में वह 5 प्रतियोगिता पर प्रथम स्थान पर रही। शेष 2 प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। आंधप्रदेश राज्य की राज्यस्तरीय विद्यालय के लिए की जाने वाली प्रतियोगिता महात्मा ग़ांधी राष्ट्रीय भाषा प्रतियोगिता में लाच्छो कुमारी ने उस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर गोल्ड मेडल प्राप्त किया था।

कक्षा 10वीं के दौरान वह पुनः अपने राज्य के जवाहर नवोदय विद्यालय में वापस आ गयी थी ओर 12वी तक यही पढ़ाई पूरी की। कक्षा 12वी के दौरान लाच्छो कुमारी ने 3 किलोमीटर दौड़ की प्रतियोगिता में भाग लिया जिसमे उसे राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया।

छोटे भाईओं के सहयोग से बीए पूरा किया

12वीं कक्षा उर्तीण करने के बाद भी परिवार वालो की आर्थिक स्तिथि ठीक नही थी। इस कारण परिवार वालो ने पढ़ाई छोड़ देने को कहा क्योंकि परिवार के पास महाविद्यालय के छात्रावास की मासिक फीस देने के पैसे नही थे। तब लाच्छो कुमारी के दोनों छोटे भाइयों ने फीस भरने की जिम्मेदारी ली और इस प्रकार आर्थिक संकट के दौरान भी कमला नेहरू महिला महाविद्यालय से BA की डिग्री प्राप्त की।

BA के दौरान NSS के राष्ट्रीय स्तर कैंप में हिस्सा लिया

BA के दौरान महाविद्यालय की तरफ से NSS का राष्ट्रीय स्तर का केम्प किया। इसके साथ NUSSD (नेशनल यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स स्किल डेवलोपमेन्ट प्रोग्राम) 3 वर्ष का डिप्लोमा होता है जो टाटा इंस्टिट्यूट सोशल साइंस मुंबई की तरफ विशेषकर बालिकाओं को करवाया जाता है। जिसमें 200 बालिकाओं में से लाच्छो कुमारी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया था। इस प्रकार लाच्छो कुमारी ने BA में अध्ययन के दौरान भी कही अन्य प्रशिक्षण और कोर्स BA की डिग्री के साथ-साथ पुरे किये।

BA की डिग्री प्राप्त कर लाच्छो कुमारी ने MA (अर्थशास्त्र) की पढ़ाई के लिए के लिए जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर में दाखिला लिया। दाखिला लेने के बाद लाच्छो कुमारी के सामने 2 प्रकार की विकट स्थिति बनी प्रथम होस्टल की फीस भरनी थी। द्वितीय SI की तैयारी के लिए कोचिंग भी लेनी थी। लेकिन परिवार की आर्थिक स्तिथि वह भली-भांति जानती थी। तब जाकर उसके पिता ने उसे विश्वास दिलवाया की वो तैयारी करें पैसे का इंतेजाम वो करेंगे। बेटी के सपनों को साकार करने के लिए 65 वर्षीय पिता ने पुनः मजदूरी करना शुरू कर दिया। माता ने भी बेटी के सहयोग के लिए नरेगा में कार्य करना शुरू कर दिया। ताकि वह अपनी लाडली की फीस भर सके। वह बताती है कि माता-पिता दोनो की आय को मिलाकर सिर्फ होस्टल की फीस ही भरी जा सकती थी।

माता ने गहने बेच कर कोचिंग की फीस जमा करवाई

इसके आलावा लाच्छो कुमारी की माता ने उनके पास जो कुछ गहने थे उन्हें बेचकर कोचिंग की फीस जमा करवाई। SI की कोचिंग छात्रावास से 8 KM दूर थी। लाच्छो कुमारी के पास स्वयं का अपना कोई आवागमन का साधन नही था। जिसके कारण लाच्छो कुमारी को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता था। तब उनकी शिक्षिका रेणु कल्ला ने आर्थिक रूप से लाच्छो कुमारी की काफी सहायता की।

SI की तैयारी के दौरान लाच्छो कुमारी की बड़ी बहन अरुणा कुमारी ओर जीजा जी सुरेश जी भील ने उन्हें अपनी समर्थ के अनुसार सहयोग किया। MA की पढ़ाई के दौरान लाच्छो कुमारी ने स्काउट गाइड जॉइन किया। इसी दौरान रेंजर सिस्टर हुडस के खिताब को प्राप्त किया। इस दौरान लाच्छो कुमारी को 26 जनवरी 2016 की परेड के उपलक्ष पर उन्हें राष्ट्रपति द्वारा भी सम्मानित किया गया। इस प्रकार लाच्छो कुमारी का MA के दौरान पढ़ाई का वर्ष भी कही उपलब्धियों पूर्ण रहा।

अक्टूबर 2018 में उसने SI का एग्जाम दिया, तथा परीक्षा परिणाम से पूर्व ही लाच्छो कुमारी ने फिजिकल एग्जाम की भी तैयारी शुरू कर दी थी। साल 2019 में SI एग्जाम के परिणाम में लाच्छो कुमारी उर्तीण हुई ओर 20 दिन बाद ही फिजिकल का एग्जाम हुआ। जिमसें लाच्छो कुमारी ने 100 में से 100 अंक प्राप्त कर प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके 1 वर्ष बाद लाच्छो कुमारी ने इंटरव्यू दिया जिसमे SI की अंतिम सूची में चयनित के रूप में स्थान प्राप्त किया। लाच्छो कुमारी का लक्ष्य है हर साल 10 गरीब आदिवासी भील बालिकाओं को शिक्षा के क्षेत्र में उनकी आर्थिक रूप से मदद करना। जिससे वे शिक्षा के क्षेत्र में आर्थिक रूप से पिछड़े न रहें।

लाच्छो कुमारी भील का संदेश-आर्थिक रूप से कमजोर होना एक बात है, लेकिन आपका परिवार आपके साथ है यह बड़ी बात है। यदि आपके अंदर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का जुनून-जज्बा है तो आप जरूर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है।

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