भाग्यशाली है हिमालय की तलहटी राज्यों के निवासी, और बड़ी जिम्मेदारी भी है इसे बचाने की

भाग्यशाली है हिमालय की तलहटी राज्यों के निवासी, और बड़ी जिम्मेदारी भी है इसे बचाने की

हिमालय दिवस विशेष: लेखिका - डॉ० सुमन नैथानी

 

हिमालय संस्कृत शब्द है जो दो शब्दों से मिलकर बना है- हिम (बर्फ) +आलय (निवास स्थान)। हिमालय एशिया क्षेत्र में एक पर्वत श्रंखला हैं जो भारतीय उपमहाद्वीप के मैदानों क्षेत्र को तिब्बती पठार से अलग करता हैं। इस पर्वत श्रृंखला में पृथ्वी के ऊँचे पर्वत एवरेस्ट/सागरमाथा शिखर मौजूद हैं। यह पांच देशों भूटान, भारत, नेपाल, चीन और पाकिस्तान तक फैला है। विश्व की कुछ बड़ी नदियाँ – इंडस, गंगा और ब्रह्मपुत्र का उद्गम हिमालय से होता है, जिनके बेसिन संयुक्त रूप से लगभग 600 मिलियन लोगों के लिए आश्रय हैं। हिमालयी क्षेत्र में लगभग 53 मिलियन लोग रहते हैं। हिमालय ने दक्षिण एशिया और तिब्बत जैसी बड़ी की सभ्यताओं को जन्म दिया हैं। कई हिमालय चोटिओं चोका हिंदू और बौद्ध धर्म के पवित्र ग्रंथों में वर्णन है।

हिमालय पर्वत श्रृंखला पृथ्वी पर सबसे युवा पर्वत श्रृंखलाओं में से है। हिमालय केवल ‘बर्फ का वास’ एक पर्वत श्रृंखला नहीं है अपितु कई भारतीय सभ्यताओं का आश्रय रहा हैं। हिमालय ने भारतीय विचार और संस्कृति पर निश्चित रूप से पर बड़ा प्रभाव डाला है। हिमालय की बहुत सी चोटिया देवताओं के रूप में पूजे जाते हैं। इसके अलावा हिमालय की सुंदरता और शांति आश्चर्य की भावना पैदा करने के लिए पर्याप्त है। साथ ही इस ग्रह पर किसी को भी मंत्रमुग्ध कर दें।

हिमालय विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक संपदा का एक विशाल भंडार है जिसमें विशेष जड़ी-बूटियां आदि शामिल हैं। साथ ही औषधीय मूल्य की वनस्पतियों, जीवों, खनिजों, झीलें और ग्लेशियर आदि विविधता से भरपूर है।

हम उत्तराखंड के लोग बहुत भाग्यशाली हैं कि हम उस राज्य के निवासी है जो हिमालय श्रृंखला का अभिन्न अंग। आइए हम इस विशाल हिमालय पर्वत शृंखला को सम्मान दे और इसके वातावरण को बचाने और संरक्षित करने में सहयोग दें।

हिमालय न तो दौड़ सकता है, न कूद सकता है, न हिल सकता है या बात भी नहीं कर सकता है, वह निर्जीव हैं
लेकिन इंसानों से भी बड़े-बड़े काम करता हैं। हिमालय का परिदृश्य इस क्षेत्र के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है।

अनियंत्रित विकास और शहरीकरण से हिमालय बहुत अधिक प्रभावित हो रहा है। हिमालय के ग्लेशियरों, नदियों और उन पर निर्भर अनगिनत समुदाय की रक्षा करना एक विशाल चुनौती हैं। अतः इन चुनौतिओं का सामना करने के लिए हमारा ध्यान होना चाहिए की:

  • कमजोर और लुप्तप्राय प्रजातियों का अध्ययन और संरक्षण
  • स्थानीय समुदायों के साथ काम कर वन्य जीव संरक्षण
  • बुनियादी हरित ढांचे के विकास को बढ़ावा देना
  • एक प्रभावी तंत्र बना अवैध शिकार पर नियंत्रण
  • ग्लेशियरों का पिघलकर काम होने से बचाना
  • बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण
    बड़े पैमाने पर शहरीकरण पर नियंत्रण
  • अनियंत्रित वनों की कटाई पर रोक

हिमालय दिवस यह संदेश जन-जन तक पहुंचाने के साथ मनाया जाना चाहिए। और हिमालय की अद्वितीय पारिस्थितिकी के समान ही हमें सतत विकास और पारिस्थितिक स्थिरता के लिए समाधान के लिए काम करना चाहिए।

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