रेनबो न्यूज़ इंडिया * 12 सितम्बर 2021
देहरादून, 12 सितंबर खुली हवा में विकसित देश की सबसे बड़ी ‘फर्नरी’ (फर्नशाला) का रविवार को अल्मोड़ा जिले के रानीखेत में जाने-माने फर्न विशेषज्ञ नीलांबर कुनेठा ने उद्घाटन किया।
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में कालिका स्थित वन अनुसंधान केंद्र में देश की पहली प्राकृतिक फर्नरी (फर्नेटम) खुल गई है। पिछले डेढ़ दो सालों से कैंपा (वनारोपण निधि प्रबंधन व योजना प्राधिकरण) योजना के तहत इसे विकसित करने की कवायद चल रही थी। मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि इस फर्नरी में 120 प्रकार के फर्न हैं। यहां कई फर्न डायनासोर के जमाने से ताल्लुक रखते हैं, जिन्हें ट्री फर्न कहा जाता है।
इस फर्नरी को उत्तराखंड वन विभाग की शोध शाखा द्वारा केंद्र की वृक्षारोपण की कैंपा योजना के तहत तीन साल में विकसित किया गया है।
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उत्तराखंड के मुख्य वन संरक्षक (शोध) संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि इस फर्नरी में 120 प्रकार के फर्न हैं और इससे ज्यादा फर्नों की प्रजातियां केवल तिरुवनंतपुरम स्थित जवाहर लाल नेहरू ट्रॉपिकल बॉटनिकल गार्डन एंड रिसर्च इंस्टिटयूट में ही हैं।
उन्होंने बताया कि खुली हवा में बनाई गई यह देश की सबसे बड़ी फर्नरी है जहां चारों तरफ प्राकृतिक परिवेश है और यह करीब 1800 मीटर की ऊंचाई पर चार एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में फैली हुई है।
फर्नरी के अंदर से एक बरसाती नाला गुजरता है जिससे वहां उगने वाले फर्नों के लिए जरूरी नमी उपलब्ध रहती है। यहां पश्चिमी और पूर्वी हिमालयी क्षेत्रों के अलावा पश्चिमी घाट में उगने वाले फर्नों की प्रजातियां भी हैं। यहां फर्न की कुछ दुर्लभ प्रजातियां जैसे ट्री फर्न भी मौजूद हैं जिन्हें उत्तराखंड राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा लुप्तप्राय घोषित किया गया है।
जंगल में इस प्रजाति के अब कुछ ही पौधे बचे हैं और इसे फर्न की सबसे पुरानी प्रजातियों में से एक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पौधे खाने वाले डाइनासोर इसका तना खाते थे जिसमें स्टार्च बहुतायत में पाया जाता है।
उन्होंने बताया कि फर्नरी में मौजूद करीब 30 प्रजातियां ऐसी भी हैं जिनका अत्यधिक औषधीय महत्व है और इनमें कई बीमारियों के इलाज में आयुर्वेद और तिब्बत औषधि प्रणाली में प्रयुक्त होने वाली फर्न की हंसराज प्रजाति भी शामिल है। उन्होंने कहा कि फर्नरी में लिंगुरा जैसे फर्न की खाने योग्य प्रजातियां भी हैं।
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