ऋषिकेश, श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का विषय था “एनईपी के तहत डिजिटल शिक्षा और अकादमिक प्रशिक्षण को बढ़ावा देना।” कार्यशाला का आयोजन रसायन विभाग और आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) के संयुक्त तत्वाधान में किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एन.के. जोशी थे, जिन्होंने तकनीक को नवयुग में प्रवेश का माध्यम बताया। उन्होंने कहा, “चाहे वह पेपर हो, प्रिंटिंग प्रेस हो, ब्लैकबोर्ड हो, पुस्तकें हों अथवा इक्कीसवीं सदी का मोबाइल ब्रॉडबैंड और इंटरनेट-सुविधा हो, तकनीक हमेशा से नवयुग में प्रवेश का माध्यम रही है।”
इस अवसर पर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पेट्रोलियम (IIP), देहरादून और श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के तहत विश्वविद्यालय में शोध कार्य एवं स्नातकोत्तर छात्रों को अनुसंधान एवं तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग प्रदान किया जाएगा।
कीनोट स्पीकर, डॉ. नीरज उपाध्याय ने ऑनलाइन शिक्षा की वर्तमान स्थिति और उसके महत्व पर चर्चा की। उन्होंने मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स (MOOC), स्वयम, और नेप्टल जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्मों के महत्व पर जोर दिया।
प्रथम तकनीकी सत्र में, IIP की मुख्य वैज्ञानिक, डॉ. आरती ने भविष्य में ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों पर विस्तार से चर्चा की। द्वितीय तकनीकी सत्र में, IIP के वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. उमेश कुमार ने CSIR और IIP द्वारा छात्रों और शोधार्थियों को अनुसंधान में दी जा रही सहायता की जानकारी दी।
कार्यशाला का समापन प्रो. आशीष शर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर पर विभिन्न विभागों के प्रोफेसर और छात्र भी उपस्थित थे, जिन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दिया।