नई दिल्ली: भारत डिजिटल पेमेंट टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तेजी से उभर रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ने अक्टूबर 2024 में रिकॉर्ड 16.6 अरब लेनदेन दर्ज किए। यूपीआई की इस सफलता के साथ भारत वैश्विक स्तर पर डिजिटल पेमेंट सिस्टम में नेतृत्व करने की स्थिति में है।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा ने बताया कि यूपीआई का ओपन-एंडेड सिस्टम इसे दुनिया के सबसे उन्नत पेमेंट प्लेटफॉर्म में शामिल करता है। उन्होंने कहा, “यूपीआई के जरिए एक ही एप्लीकेशन से व्यक्ति से व्यक्ति और व्यक्ति से व्यापारी तक लेनदेन करना बेहद आसान है।”
डिजिटल इकोसिस्टम में सुधार
रिपोर्ट में बताया गया कि डिजिटल क्रेडिट सेवाओं में इनोवेशन, जैसे अकाउंट एग्रीगेटर्स, ओसीईएन (ओपन क्रेडिट इनेबलमेंट नेटवर्क), और ओएनडीसी (ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स), ने उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
टीआरईडीएस (ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम) के तहत फाइनेंस चालानों का मूल्य पिछले वर्ष की तुलना में 23 गुना बढ़ा है। पात्रा ने कहा कि अक्टूबर 2024 तक भारत में लगभग 5,000 सक्रिय फिनटेक कंपनियां एमएसएमई और अन्य व्यवसायों को वित्तीय और तकनीकी समाधान प्रदान कर रही हैं, जिससे उनकी आपूर्ति श्रृंखला और संचालन प्रबंधन में सुधार हुआ है।
डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों की 40% आबादी और 20-30 आयु वर्ग के 78% लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। इनमें से एक तिहाई परिवार ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं। पात्रा ने कहा कि भारत का डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, वाइब्रेंट आईटी सेक्टर, और एआई के विशाल टैलेंट पूल ने देश को विकास के लिए मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूपीआई की बढ़ती स्वीकार्यता
भारत ने हाल ही में यूपीआई के विस्तार के लिए कई अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। यह पहल न केवल भारतीय नागरिकों के लिए सुविधाजनक है बल्कि वैश्विक स्तर पर डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में भारत की साख को भी मजबूत करती है।
डिजिटल क्रांति के इस युग में भारत का यूपीआई मॉडल अन्य देशों के लिए प्रेरणा बन रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह भारत के आर्थिक और तकनीकी विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।