नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी ने आजादी के बाद सात दशक में भी देश की बड़ी आबादी तक नल से जल पहुंचाने की ‘‘विफलता’’ के लिए पूर्ववर्ती सरकारों को आड़े हाथों लिया और आरोप लगाया कि ऐसा इसलिए नहीं हो सका क्योंकि तत्कालीन नीति निर्माताओं को बिना पानी की जिंदगी के दर्द का एहसास नहीं था।
केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन पर ग्राम पंचायत और पानी समितियों या ग्रामीण जल और स्वच्छता समितियों से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संवाद के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने दावा किया कि आजादी के बाद के सात दशकों में हर घर जल पहुंचाने के लिए जो काम हुआ था, सिर्फ पिछले दो साल में उससे भी ज्यादा काम उनकी सरकार ने करके दिखाया है।
इस अवसर पर उन्होंने पानी की प्रचुरता में रहने वाले देश के हर नागरिक से पानी बचाने के ज्यादा से ज्यादा प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इसके लिए निश्चित तौर पर लोगों को अपनी आदतें भी बदलनी ही होंगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बहुत सी ऐसी फिल्में, कहानियां और कविताएं हैं जिनमें विस्तार से यह बताया गया है कि कैसे गांव की महिलाएं और बच्चे पानी लाने के लिए मीलों दूर चलकर जा रहे हैं और इन्हें देखकर कुछ लोगों के मन में गांव का नाम लेते ही यही तस्वीर उभरती है।
पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उस समय के नीति-निर्माताओं ने पानी की किल्लत नहीं देखी थी और बिना पानी की जिंदगी का दर्द क्या होता है, उन्हें पता ही नहीं था, क्योंकि उनके घरों में, स्विमिंग पूल में पानी ही पानी होता था।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे लोगों ने कभी गरीबी देखी ही नहीं थी। इसलिए गरीबी उनके लिए एक आकर्षण रही। साहित्य और बौद्धिक ज्ञान दिखाने का जरिया बन गया। इन लोगों में एक आदर्श गांव के प्रति मोह होना चाहिए था लेकिन यह लोग गांव के अभावों को ही पसंद करते थे।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी से लेकर वर्ष 2019 तक देश में सिर्फ तीन करोड़ घरों तक ही नल से जल पहुंचता था और 2019 में जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद से पांच करोड़ घरों को पानी के संपर्क से जोड़ा गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘आज देश के लगभग 80 जिलों के करीब सवा लाख गांवों के हर घर में नल से जल पहुंच रहा है। यानी पिछले सात दशकों में जो काम हुआ था, आज के भारत ने सिर्फ दो साल में उससे ज्यादा काम करके दिखाया है। वह दिन दूर नहीं नहीं जब किसी बहन बेटी को पानी भरने के लिए रोज रोज दूर-दूर तक पैदल नहीं जाना होगा।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन की दृष्टि सिर्फ लोगों तक पानी पहुंचाने का ही नहीं है बल्कि यह विकेंद्रीकरण का भी बहुत बड़ा आंदोलन है। उन्होंने कहा, ‘‘यह गांवों और महिलाओं द्वारा चलाए जाने वाला आंदोलन है। इसका मुख्य आधार, जन आंदोलन और जनभागीदारी है।’’
जल जीवन मिशन एप और राष्ट्रीय जल जीवन कोष की शुरुआत
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर जल जीवन मिशन एप और राष्ट्रीय जल जीवन कोष की भी शुरुआत की। इस एप का उद्देश्य विभिन्न हितधारकों के बीच जागरूकता बढ़ाने और मिशन के अंतर्गत जारी योजनाओं को अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाना है जबकि राष्ट्रीय जल जीवन कोष में कोई भी व्यक्ति, संस्थान, कंपनी या समाजसेवी, चाहे वह भारत में हो या विदेश में, अंशदान कर सकता है। इस कोष का उपयोग गांव में प्रत्येक घर, स्कूल, आंगनवाडी केन्द्र और अन्य सार्वजनिक संस्थानों में नल से पानी की सुविधा उपलब्ध कराना है।
प्रधानमंत्री ने हर घर को नल से स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा की थी।
Related posts:
- प्रधानमंत्री मोदी पहुंचे केदारनाथ, बाबा का जलाभिषेक और आदि शंकराचार्य की मूर्ति का करेंगे लोकार्पण
- प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक
- सरकारी नौकरी से ज्यादा आकर्षक है स्टार्टअप में स्वरोजगार का अवसर – केंद्रीय मंत्री डॉ० जितेन्द्र
- यह दशक वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी को बहुत ज्यादा बढ़ाने वाला है: मोदी
- भारतीय प्रवासियों ने दुनियाभर में अपनी अलग पहचान बनाई है: मोदी
- नमक-पानी गरारे के माध्यम से सरल, तेज और सस्ती आरटी-पीसीआर जांच की अनूठी विधि, पढ़िए पूरी खबर