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कचरे से मोटी कमाई, गंदे पानी के दोबारा इस्तेमाल से लगातार पांचवीं बार सफाई का सिरमौर बना इंदौर

कचरे से मोटी कमाई, गंदे पानी के दोबारा इस्तेमाल से लगातार पांचवीं बार सफाई का सिरमौर बना इंदौर

रेनबो न्यूज़ इंडिया* 20 नवंबर 2021

इंदौर/मध्यप्रदेश: केंद्र सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण में इंदौर के लगातार पांचवीं बार देश भर में अव्वल रहने की बुनियाद में गीले तथा सूखे कचरे के प्रसंस्करण से शहरी निकाय की मोटी कमाई के टिकाऊ रास्ते खोजना और बड़े पैमाने पर गंदे पानी के उपचार से इसे दोबारा उपयोग किए जानेके नवाचार हैं।

स्वच्छ भारत अभियान के लिए इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के सलाहकार असद वारसी ने शनिवार को ‘‘पीटीआईभाषा’’ को बताया, ‘‘शहर में औसतन 300 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) गंदा पानी उत्सर्जित होता है और अलग-अलग इलाकों में बने विशेष संयंत्रों में इसके उपचार के बाद 110 एमएलडी पानी सार्वजनिक बगीचों, खेतों और निर्माण गतिविधियों में दोबारा इस्तेमाल किया जा रहा है।’’

अधिकारियों ने बताया कि गंदे पानी के प्रबंधन के सर्वश्रेष्ठ इंतजामों के चलते ही स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 के तहत इंदौर को देश के पहले ‘‘वॉटर प्लस’’ शहर के खिताब से अगस्त में नवाजा गया था। अधिकारियों के मुताबिक स्वच्छ सर्वेक्षण के ‘‘वॉटर प्लस’’ प्रोटोकॉल के दिशा-निर्देशों के अनुसार आईएमसी ने कान्ह सरस्वती नदी और शहर में बहने वाले 25 छोटे-बड़े नालों में छूटे हुए 1,746 सार्वजनिक आउटफॉल (गंदा पानी बहने के रास्ते जिनसे यह अपशिष्ट जल स्रोतों में मिलता है) और 5,624 घरेलू सीवरेज आउटफॉल रोककर नदी-नालों को गंदगी सेमुक्त किया है। इंदौर का शहरी निकाय सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) की अलग-अलग परियोजनाओं के जरिये कचरे से मोटी कमाई भी कर रहा है।


आईएमसी के सलाहकार वारसी ने बताया कि निजी कम्पनियां शहर मेंगीले और सूखे कचरेके प्रसंस्करण से बायो-सीएनजी, कम्पोस्ट खाद तथा अन्य उत्पाद बना रही हैं और वे कचरा मुहैया करानेके बदले हर साल आईएमसी को प्रीमियम के तौर पर करीब आठ करोड़ रुपये अदा कर रही हैं।
उन्होंने बताया, ‘‘शहर में 550 टन क्षमता का नया बायो-सीएनजी संयंत्र जल्द ही शुरू होनेजा रहा हैजिससे कचरे से आईएमसी की सालाना कमाई 10 करोड़ रुपयेके स्तर पर पहुंच जाएगी।’’

अधिकारियों ने बताया कि इंदौर का स्वच्छता मॉडल ‘‘3 आर’’ (रिड्यूज, रीयूज और रीसाइकिल) फॉर्मूला पर आधारित है। उन्होंने बताया कि शहर से बड़ी कचरा पेटियां छह साल पहले ही हटा दी गई थीं और आईएमसी की गली-मोहल्लों में लगातार चलनेवाली करीब 700 गाड़ियों की मदद से लगभग हर घर एवं वाणिज्यि क प्रतिष्ठान से गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा किया जाता है।

अधिकारियों ने बताया कि इस्तेमाल किए गए डाइपर और सैनिटरी नैपकिन जैसेजैव अपशिष्टों समेत छह तरह के कचरे को अलग-अलग जमा करने के लिए इन गाड़ियों में विशेष कम्पार्टमेंट बनाए गए हैं।

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