ग्राफिक एरा डीम्ड विश्वविद्यालय के सीएसआई स्टूडेंट ब्रांच द्वारा पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
आर्थिक समृद्धि और सतत विकास में पर्यावरण और तकनीकी की भूमिका विषय पर कार्यशाला
देहरादून। दिनांक 23 नवंबर को ग्राफ़िक एरा डीम्ड विश्विद्यालय में पांच दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया। आर्थिक समृद्धि और सतत विकास में टेक्नोलॉजी और पर्यावरण की भूमिका विषय पर कार्यशाला आयोजित की जा रही हैं।
कार्यशाला का शुभारंभ कुलपति प्रो० डॉ० नागराजा, अतिथि श्री सचिदानंद भारती, प्रो० डॉ० दीपाली बंसल डीन इंजीनियरिंग, डॉ० देवेश प्रताप सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया। डॉ० देवेश प्रताप ने मुख्य अतिथि और सभी उपस्थित लोगों का स्वागत किया।
कुलपति प्रो० नागराजा ने कार्यशाला के विषय पर प्रकाश डालते हुए बताया की टेक्नोलॉजी में इनोवेशन की असल आवश्यकता आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए भी हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में ऐसे नवाचार प्रेरित प्रशिक्षण कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित किये जाते हैं।
कार्यशाला में मुख्य वक्ता पर्यावरणविद सचिदानंद भारती ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण में मुख्य कार्य जल संरक्षण हैं। “पानी राखो आंदोलन” के प्रणेता भारती जी बताया की पहाड़ के सुदूर क्षेत्र में उन्होंने व्यक्तिगत स्तर पर ३० हजार से ज्यादा छोटे-बड़े तालाब बनायें हैं। ऐसे तालाब बनाने से क्षेत्र में सूख रहे कई जल के प्राकृतिक स्रोत पुनः जीवित हो गए हैं। क्षेत्र में तालाब बनाने से जंगलों में लग रही आग की समस्या का समाधान हुआ है। उनके इस अनोखे कार्य की वर्ल्ड बैंक और सरकार द्वारा भी समय-समय पर सराहना की गई।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी भारती जी के कार्य की मन की बात कार्यक्रम में सराहना की
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने पर्यावरणविद और पानी राखो आंदोलन के प्रणेता सच्चिदानंद भारती जी के उत्तराखंड में जल संरक्षण के प्रयास की सराहना की। कार्यशाला में उपस्थित सभी प्राध्यापक और छात्र-छात्राएं उनके संबोधन से बहुत प्रभावित हुए और उनके इस अनोखे कार्य की सराहना की।
भारती जी ने बताया की जल संरक्षण और उपलब्धता से कई रोजगारपरक कार्य किये जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि नवाचार से तकनीकी विकास कर आर्थिक समृद्धि तो हासिल की ही जा सकती हैं, साथ ही नवाचार से पर्यावरण संरक्षण कर सतत विकास भी हासिल किया जा सकता है।
कार्यशाला के संयोजक रमेश सिंह रावत ने बताया की यह कार्यशाला कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ़ इंडिया स्टूडेंट ब्रांच और कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग द्वारा पर्यावरण और जल संरक्षण हेतु नवाचार और टेक्नोलॉजी के उपयोग पर केंद्रित हैं। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में विचार मंथन कर और पर्यावरण समस्याओं की जानकारी से इंजीनियरिंग के छात्र ऐसे सॉफ्टवेयर विक्षित कर सकते हैं जिससे पर्यावरण और जल संरक्षण के कार्यों में मदद मिल सके।
पांच दिवसीय कार्यशाला के शुभारंभ सत्र में कुलपति प्रो० डॉ० नागराजा, प्रो० डॉ० दीपाली बंसल डीन इंजीनियरिंग, डॉ० देवेश प्रताप विभागाध्यक्ष कंप्यूटर साइंस, रमेश सिंह रावत, सौरभ मिश्रा, युवराज जोशी, सोमेश्वर सिंह, अंकित गुप्ता, शिवाशीष ढौंडियाल, नूर मोहम्मद सहित के कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ़ इंडिया ब्राँच कार्यकारिणी के पदाधिकारी, सदस्य और अन्य छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
Five days Training Program- "Boosting Economy and Sustaining Environment through Technology"
— Rainbow News (@RainbowNewsUK) November 23, 2021
Organized by Computer Society of India Student Branch @csigeu with Computer Science & Engineering Department, Graphic Era Deemed to be University, Dehradun- India. pic.twitter.com/aD5xABVR8E
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