शिक्षा मंत्रालय ने नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अर्हता ढांचा (एनएचईक्यूएफ) का मसौदा तैयार किया है, जिसका उद्देश्य देश में व्यावसायिक शिक्षा और सामान्य शिक्षा के बीच एकरूपता लाना एवं कौशल शिक्षा का व्यवस्थित ढांचा तैयार करना है।
शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के आलोक में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अर्हता ढांचा का मसौदा तैयार किया है और इस पर कौशल विकास मंत्रालय के साथ विचार विमर्श हो रहा है। ’’
उन्होंने बताया कि प्रस्तावित राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अर्हता ढांचा (एनएचईक्यूएफ) को राष्ट्रीय कौशल पात्रता ढांचा (एनएसक्यूएफ) से जोड़कर व्यावसायिक शिक्षा को व्यवस्थित स्वरूप प्रदान किया जायेगा ।
कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय की वर्ष 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय शिक्षा प्रणाली के वर्तमान परिदृश्य में व्यावसायिक शिक्षा और सामान्य शिक्षा के बीच समकक्षता की कोई प्रणाली नहीं है। व्यावसायिक शिक्षा को अधिक प्रासंगिक बनाने और समाज में इसकी स्वीकार्यता के लिए क्रेडिट आधारित मॉड्यूलर प्रणाली विकसित किये जाने की जरूरत है ।
फिलहाल देश में 10,859 से अधिक व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों में 13 लाख से अधिक छात्र व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में कहा गया है कि सभी व्यावसायिक शिक्षाओं को उच्च शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग बनाया जाएगा। स्वचलित (सेल्फ रन) तकनीकी विश्वविद्यालयों, स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालयों, कानूनी और कृषि विश्वविद्यालयों आदि को उद्देश्य बहु-विषयक संस्थान बनना होगा। इन उद्देश्यों के लिये राष्ट्रीय कौशल पात्रता ढांचा के अनुरूप राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अर्हता ढांचा तैयार किया जायेगा ।
अधिकारी ने बताया कि छठी कक्षा से उच्च माध्यमिक स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा का एक ढांचा लागू किया जा रहा है और प्रारंभिक शिक्षा के स्तर पर भी कौशल गतिविधियों पर जोर दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में माध्यमिक स्कूल, प्रशिक्षण कार्यक्रमों को लेकर औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई), पॉलीटेक्निक संस्थानों आदि से गठजोड़ कर सकेंगे। सरकार का मकसद साल 2025 तक स्कूली एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में 50 प्रतिशत छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा से जोड़ना है।
व्यावसायिक एवं कौशल विकास योजना को लागू करने की योजना के तहत घरेलू एवं वैश्विक जरूरतों के आकलन के लिये उद्योगों की मदद ली जा रही है ताकि शिक्षा के बाद रोजगार की समस्या को दूर करने के साथ उद्योगों की जरूरतों को पूरा किया जा सके। हाल ही में शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा था कि स्कूली शिक्षा में नए जमाने के कौशल विकास के तहत पाठ्यक्रम तैयार करने तथा शिक्षकों के प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान देना होगा।
इसका उदेश्य शिक्षा के बाद रोजगार की समस्या को दूर करने के साथ ही उद्योगों की जरूरतों को पूरा करना है।
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