भारतीय गणितज्ञ नीना गुप्ता प्रतिष्ठित रामानुजन पुरस्कार से सम्मानित

भारतीय गणितज्ञ नीना गुप्ता प्रतिष्ठित रामानुजन पुरस्कार से सम्मानित

Zariski प्रॉब्लम हल करने के लिए मिला है गणितज्ञ नीना गुप्ता को रामानुजन पुरस्कार

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अनुसार, नीना गुप्ता का नाम इतिहास में दर्ज किया जा चुका है। यह पुरस्कार पाने वाली वह चौथी भारतीय और विश्व की तीसरी महिला हैं।

कोलकाता के इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टीट्यूट (ISI) में पढ़ाने वाली प्रोफेसर नीना गुप्ता को मैथ्स के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक ‘विकासशील देशों के युवा गणितज्ञों का 2021 DST-ICTP-IMU रामानुजन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अनुसार, नीना गुप्ता का नाम इतिहास में दर्ज किया जा चुका है क्योंकि यह पुरस्कार पाने वाली वह चौथी भारतीय और विश्व की तीसरी महिला हैं। सबसे दिलचस्प बात ये है कि जिन चार भारतीयों को रामानुजन पुरस्कार मिला है उनमें से तीन तो ISI के ही फैकल्टी सदस्य हैं। इससे पहले साल 2006 में 2006 में सुजाता रामादोरई, 2015 में अमलेंदू कृष्णा, 2018 में ऋतब्रत मुंशी को ये सम्मान मिला था।

इस पुरस्कार को पाने से पूर्व नीना गुप्ता को साल 2019 में ‘शांति स्वरूप भटनागर प्राइज फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ भी मिला था। उन्हें बीजगणित जियोमेट्री के फील्ड में Zariski cancellation problem को सॉल्व करने के लिए नेशलन साइंस अकेडमी द्वारा यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी दिया गया था।

नीना के बारे में मौजूदा जानकारी से पता चलता है कि वो कोलकत्ता में पली-बढ़ी हैं और वहीं उन्होंने खालसा हाई स्कूल से अपनी स्कूलिंग पूरी की। इसके बाद उन्होंने मैथ्स ऑनर्स में बेथ्यून कॉलेज से बीएससी की डिग्री प्राप्त की, फिर इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टीट्यूट से गणित में मास्टर्स, पीएचडी की और फिर वहीं फैकल्टी सदस्य के तौर पर काम करने लगीं। वह बताती हैं कि उन्हें गणित विषय के लिए प्रेम का एहसास बचपन में ही हो गया था और उसी के बाद उन्होंने इस पर काम शुरू कर दिया था।

रामानुजन अवार्ड जीतने के बाद उन्होंने मीडिया से कहा कि उन्हें ये अवार्ड पाकर सम्मानित महसूस हो रहा है, लेकिन ये काफी नहीं है। एक शोधकर्ता होने के नाते उन्हें अब भी बहुत सी प्रॉब्लम सॉल्व करनी हैं। वह कहती हैं कि ये पुरस्कार पाने से उन्हें और अधिक मेहनत करने की प्रेरणा मिली है। शुरुआत में उनका सपना अच्छी डिग्री लेकर शादी करने का था। मगर जब उन्हें अपना इंटरेस्ट पता चला तो उन्होंने इस पर काम शुरू किया।

किसे मिलता है रामानुजन अवार्ड

रामानुजन अवार्ड विकासशील देशों के युवा मैथमेटिशियन को साल 2005 के बाद से हर वर्ष प्रदान किया जाता है। इस अवार्ड को, ‘अब्दुस सलाम इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल फिज़िक्स’ द्वारा भारत सरकार के ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग’ तथा अंतरराष्ट्रीय गणितीय संघ (IMU) के साथ संयुक्त रूप से प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार हर साल 31 दिसंबर को विकासशील देश के उन शोधकर्ताओं को दिया जाता है, जिन्होंने अपने क्षेत्र (मैथ्स के क्षेत्र) में उत्कृष्ट काम किया हो और उनकी उम्र 45 या उससे कम हो। गणितीय विज्ञान की किसी भी शाखा में काम करने वाले शोधकर्त्ता इसके पात्र हैं। इसमें $15,000 अमेरिकी का नकद पुरस्कार दिया जाता है।

रामानुजन पुरस्कार के बारे में

भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन (Srinivasa Ramanujan) के नाम पर यह पुरस्कार पहली बार 2005 में दिया गया था और इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology – DST), भारत सरकार और अंतर्राष्ट्रीय गणितीय संघ (International Mathematical Union – IMU) के साथ संयुक्त रूप से सैद्धांतिक भौतिकी के लिए अब्दुस सलाम इंटरनेशनल सेंटर (International Centre for Theoretical Physics – ICTP) द्वारा प्रशासित किया जाता है।

यह पुरस्कार नीना गुप्ता से पहले भारतीय गणितज्ञ रामदोराई सुजाता को 2006, अमलेंदु कृष्णा को 2015 और रीताब्रत मुंशी को 2018 में सम्मानित किया जा चुका है।

एक गणितज्ञ के रूप में नीना गुप्ता का सफर:

  • 2006 में कोलकाता के बेथ्यून कॉलेज से गणित ऑनर्स के साथ स्नातक करने के बाद, नीना गुप्ता ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।
  • अपनी स्नातकोत्तर के बाद, प्रोफेसर गुप्ता ने बीजगणितीय ज्यामिति में डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) की पढ़ाई की और वर्ष 2014 में ज़ारिस्की (Zariski’s) की ‘रद्दीकरण समस्या (Cancellation Problem)’ पर अपना पहला शोध पत्र प्रकाशित किया। उनके पेपर को एक पुरस्कार मिला और अन्य गणितज्ञों द्वारा व्यापक रूप से मान्यता मिली ।
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